पटना: विधान परिषद के सदस्यों को अब प्रतिवर्ष अपने और आश्रितों की संपत्ति का सालाना ब्योरा सार्वजनिक करना होगा. सदस्यों को सदन और राजनीति दोनों की उच्च गरिमा का विशेष ध्यान रखने की नसीहत के साथ विधान परिषद की आचार समिति का पहला प्रतिवेदन सदन में पेश कर दिया गया.
आचार समिति के अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति ने उच्च सदन का प्रतिनिधित्व करने वाले सभी सदस्यों को भारतीय राजनीति के उच्च मानदंडों का दृढ़ता से पालन करने का आग्रह किया है. विधान परिषद ने लोकतांत्रिक प्रणाली और संसदीय परंपराओं को ध्यान में रख कर आचार समिति का गठन किया है. समिति ने सभी सदस्यों को हर साल अपना, पत्नी, आश्रित पुत्र-पुत्रियों के नाम परिसंपत्ति और देनदारियों की घोषणा वर्ष के अंत में करने की अनुशंसा की है.
मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद नीतीश कुमार विधान परिषद के आचार कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त किये गये. उन्होंने कमेटी के सदस्यों के साथ आधा दर्जन से अधिक बार बैठक की. आचार समिति ने विधान पार्षदों के लिए न केवल सदन के अंदर बल्कि विधानमंडल परिसर से लेकर राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान, समिति की अध्ययन यात्रा के दौरान, शिष्टमंडलों के साथ वार्ता के दौरान, सदन के बाहर यहां तक कि विदेश यात्राओं के दौरान उनका आचरण और बर्ताव लोगों के साथ कैसा होना चाहिए, इसका विस्तृत उल्लेख किया है.
नीतीश कुमार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने राजनीति में शुचिता को महत्वपूर्ण स्थान दिया है तथा व्यक्तिगत आचरण एवं व्यवहार को सार्वजनिक जीवन का आधार माना है. उनका विश्वास था कि सिद्धांत विहीन राजनीति धोखा है,पाप है और समाज के लिए हितकर नहीं हो सकती. आचार समिति ने आवश्यतानुसार संहिता का विस्तार करने का भी प्रावधान किया है.