संवाददाता, पटनाभाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार की यात्रा मुद्दाविहीन थी. इसे परिणाम शून्य और हताशा से घिरी हुई यात्रा के रूप में देखा जाना चाहिए. इसमें कोई नयी बात नहीं दिखी. यहां तक कि वह नेता राज्य के हैं और यात्रा के दौरान बातें केंद्र सरकार की कहते रहे. उनकी बातों में कोई दम नहीं है. जो भी बातें उन्होंने कहीं, उनमें नयापन नहीं था. संपर्क यात्रा में कार्यकर्ता कम, समर्थक अधिक जमा हुए. विधानसभा चुनाव में जनता राज्य सरकार के कामकाज पर वोट करती है. पर, पूरी यात्रा के दौरान उन्होंने राज्य सरकार के कामकाज पर कुछ नहीं बोला. वह कहते थे कि बिहारी कहलाना अब शर्म की बात नहीं, पर यह बताने में कतराते रहे कि किस शासनकाल में बिहारी कहलाना शर्म की बात थी. यह यात्रा लकड़ सुंघवा पक्षी की तरह रही. यह पक्षी पेड़ की चारों ओर चक्कर लगाने के बाद उसी पेड़ को फोड़ती है, जिस पर वह बैठती है. यही हाल नीतीश कुमार का है. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को जगाने की कोशिश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है. उनके कार्यकर्ताओं में मायूसी है, खासकर राजद से गंठबंधन करने को लेकर वे नाराज हैं. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने यात्रा के दौरान उनसे जितने भी सवाल पूछे, किसी भी एक का जवाब नहीं दिया गया. राज्य की जनता सोचती रह गयी कि वे बिहार सरकार के डेढ़ साल के कार्यकलाप और उपलब्धि पर कुछ कहेंगे, लेकिन वे एक लाइन भी इस पर नहीं बोले.
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इधर, मंगल पांडेय ने कहा, मुद्दा विहिन था नीतीश कुमार की संपर्क यात्रा
संवाददाता, पटनाभाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने कहा कि नीतीश कुमार की यात्रा मुद्दाविहीन थी. इसे परिणाम शून्य और हताशा से घिरी हुई यात्रा के रूप में देखा जाना चाहिए. इसमें कोई नयी बात नहीं दिखी. यहां तक कि वह नेता राज्य के हैं और यात्रा के दौरान बातें केंद्र सरकार की कहते रहे. […]
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