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तबाही मचा सकती है गंगा

उत्तराखंड में हुई भयानक त्रसदी ने हमें एक मौका दिया है. अपने पर्यावरण और प्रकृति के हो रहे दोहन को रोकने का. जिस तरह अलखनंदा नदी ने केदारनाथ में तबाही मचायी, वैसा ही कुछ पटना शहर में भी हो सकता है. जीवन दायिनी कही जानेवाली गंगा नदी की धार के साथ घाटों के आस-पास लगातार […]

उत्तराखंड में हुई भयानक त्रसदी ने हमें एक मौका दिया है. अपने पर्यावरण और प्रकृति के हो रहे दोहन को रोकने का. जिस तरह अलखनंदा नदी ने केदारनाथ में तबाही मचायी, वैसा ही कुछ पटना शहर में भी हो सकता है. जीवन दायिनी कही जानेवाली गंगा नदी की धार के साथ घाटों के आस-पास लगातार छेड़छाड़ का प्रयास हो रहा है. धार की जगह ऊंची बड़ी अट्टालिकाएं खड़ी की जा रही हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि नदी की धार के साथ छेड़खानी भविष्य में काफी महंगी पड़ेगी. शहर की आम जनता को इस खतरे से अवगत कराती प्रभात खबर की तीसरी कड़ी.

पटना/पटना सिटी: पटना सिटी इलाके में गंगा घाटों का स्वरूप तेजी से बदला है. बड़े ईंट-भट्ठों ने जहां कटाव की खतरनाक स्थिति पैदा कर दी है, वहीं तट से सटे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों के वजूद पर खतरा मंडराने लगा है. कई जगह पर घाट किनारे लोगों ने पक्का मकान बना लिया है. नदी किनारे ही कई जगह अस्थायी झोंपड़ियों में बसे लोग बेखौफ जीवन गुजार रहे हैं. हालत यह है कि बरसात के दिनों में झोंपड़ियां डूब जाती हैं और ईंट-भट्ठों को बंद करना पड़ता है.

तेजी से बढ़ी है मकानों की संख्या
घाटों पर कच्चे-पक्के मकानों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है. सवाल उठता है कि आखिर इन मकानों को बनाने की अनुमति कैसे मिली. दमराही घाट, महावीर घाट, टेढ़ी घाट, किला रोड घाट, पथरी घाट समेत अनुमंडल के 52 गंगा घाटों में डेढ़ दर्जन से अधिक परिवार की जिंदगी गुजार रहे हैं. त्रसदी यह है कि मिट्टी कटाव के कारण यहां रहनेवालों का आशियाना उजड़ने व बसने का सिलसिला जारी है. कुछ दिन पहले ही निगम ने इन मकानों का सर्वे आरंभ किया, मगर यह काम बीच में ही रुक गया.

क्यों खतरनाक हुए घाट
गंगा तटों पर लगातार खुल रहे ईंट-भट्ठा, बालू व मिट्टी खनन के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं है. नतीजा यह है कि तट से थोड़ा आगे बढ़ने पर ही ‘हाथी डूब ’ गड्ढा मिल जाता है. इस गड्ढे में पैर पड़ते ही मौत का सामना हो जाता है. गायघाट में बड़े जहाज को रोकने की व्यवस्था के लिए तट से सटे ही मिट्टी की कटाई कर दी गयी है, जिस कारण आये दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. वहीं दूसरी ओर दमराही घाट पर बालू माफिया का कब्जा है. गंगा उस पार से हर दिन मोटर संचालित नाव से करीब एक सौ नाव बालू लेकर यहां उतरा जाता है. इसके चलते गंगा तट की स्थिति खतरनाक हो गयी है. करीब सात वर्ष पूर्व इसी घाट पर सबसे बड़ी नाव दुर्घटना हुई थी, जिसमें 60 लोगों की मौत हुई थी.

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