पटना. अब जिला निबंधन कार्यालय द्वारा बगैर रजिस्ट्रीवाले फ्लैटों की सूची तैयार की जायेगी. निबंधन विभाग ने वर्ष 2000 से 2014 तक बिना रजिस्ट्री वाले फ्लैटों की सूची मांगी है. जिला निबंधन कार्यालय के अनुसार पटना शहरी क्षेत्र में 30 से 35 फीसदी फ्लैट ऐसे हैं, जिसमें लोग बिना रजिस्ट्री के रह रहे हैं.
इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है. इन फ्लैटों को चिह्न्ति कर निबंधन कराने के लिए नोटिस भेजा जायेगा.
अब खर्च करने पड़ेंगे लाखों रुपये : वैसे फ्लैटों में रह रहे लोगों को अब पांच गुनी कीमत चुकानी पड़ सकती है. वर्ष 2005-08 में एक हजार स्क्वायर फुट पर, जहां 50 से 60 हजार में रजिस्ट्री होती थी, वहीं अब उन्हें रजिस्ट्री कराने में चार से पांच लाख रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. जिला अवर निबंधक के अनुसार बिल्डर से खरीदारी करने के बाद लोग बिना रजिस्ट्री कराये सालों से रह रहे हैं. पैसे देने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं कराने से फ्लैट पर मालिकाना हक उन्हें नहीं मिल सका है, जबकि निबंधन विभाग की नॉम्स के अनुसार 100 रुपये से अधिक की कोई भी अचल संपत्ति का निबंधन अनिवार्य है. बिना रजिस्ट्री कराये गये फ्लैटों में कोई भी सरकारी दस्तावेज नहीं होता है, जिस पर मालिकाना हक जताया जा सकता है.