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आदेश मानें या जेल जाएं

पटना: पटना हाइकोर्ट ने राजधानी में गंदगी व अतिक्रमण को लेकर एकबार फिर सरकार को कड़ी फटकार लगायी है. गुरुवार को न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने सुनील कुमार की लोकहित याचिका की सुनवाई के दौरान अधिकारियों से पांच जुलाई को एक्शन टेकेन प्लान देने को कहा. सुनवाई के दौरान कोर्ट के […]

पटना: पटना हाइकोर्ट ने राजधानी में गंदगी व अतिक्रमण को लेकर एकबार फिर सरकार को कड़ी फटकार लगायी है. गुरुवार को न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा व विकास जैन के खंडपीठ ने सुनील कुमार की लोकहित याचिका की सुनवाई के दौरान अधिकारियों से पांच जुलाई को एक्शन टेकेन प्लान देने को कहा.

सुनवाई के दौरान कोर्ट के निशाने पर नगर विकास विभाग रहा. प्रधान सचिव से कोर्ट ने कहा कि 1997 से अब तक विभाग हलफनामा दायर कर यह भरोसा दिलाता रहा है कि राजधानी को साफ-सुथरा कर लिया जायेगा.

इसके लिए करोड़ों की रकम खर्च की जा रही है. जब नगर विकास विभाग के वकील ने कोर्ट को बताया कि पटना नगर निगम को दो सौ करोड़ रुपये उपलब्ध कराये गये हैं, तो खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इससे क्या काम हुआ, विभाग ने यह जानने की कोशिश नहीं की. न्यायाधीश ने कहा कि आखिर अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं करना चाहते. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि आदेश का पालन नहीं करेंगे, तो अवमानना का मुकदमा चला कर जेल भेज देंगे.

पुलिस एक्ट का भी उल्लंघन
न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने कहा, मैं खुद कार चला कर कोर्ट आता हूं. रास्ते में कचरा से लदा ट्रैक्टर दिखता है. सड़क जाम कर कचरा उठाया जाता है. यह समय दफ्तर जाने का है. लोग बाधित होते हैं. पुलिस देखती रहती है. यह पुलिस एक्ट का भी उल्लंघन है. यातायात एसपी को खुद जिम्मेवारी लेनी चाहिए. सड़कों पर बेतरतीब गाड़ियां लगी होती हैं. कोई देखता तक नहीं. फाइन क्यों नहीं लगाये जाते. न्यायाधीश ने कहा कि यदि कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ, तो अन्य अधिकारियों की तरह एसपी यातायात को भी जेल जाना पड़ सकता है.

सभी वायदे कागजी
खंडपीठ ने कहा कि अरुण कुमार मुखर्जी बनाम सरकार मामले से लेकर अब तक कई बार आदेश जारी किये गये हैं. लेकिन, अब तक वही स्थिति बनी हुई है, जो 1991 में याचिका दायर करने के समय थी. पांच जुलाई को हलफनामा दायर कर यह बताइए कि आपने अब तक क्या किया है.

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