पटना: एनडीए से जदयू के अलग होने के बाद अपने खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों पर भाजपा नेताओं को परोक्ष रूप से चेतावनी देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि अगर उन्होंने अपना मुंह खोला, तो कई लोग परेशानी में पड़ जायेंगे. एक दिन पहले रविवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जदयू व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बार-बार निशाना साधा था.
भाजपा अध्यक्ष ने कहा था कि 17 साल तक गंठबंधन का हिस्सा रहने के बाद अचानक जदयू को गुजरात के मुख्यमंत्री में खामी दिखने लगी है. भाजपा अध्यक्ष ने यह भी कहा था कि कांग्रेस से दोस्ती जदयू को खत्म कर देगी. मुख्यमंत्री पर बिहार भाजपा के भी कई नेताओं ने हमले किये थे और वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था.
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र के 77 वें जन्मदिन पर बिहार की पीड़ा से जुड़िए श्रृंखला के तहत ‘बिहार मांगे इंसाफ’ विषय पर सेमिनार के दौरान मुख्यमंत्री ने भाजपा नेताओं पर निशाना साधा. बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह की मौजूदगी में सीएम ने कहा कि कल तक जो साथ थे, वे अब तरह-तरह के आरोप लगाने लगे हैं.
अगर मैं यहां कुछ कहूं, तो सभापति अवधेश बाबू को भी परेशानी होगी. हम तो शुरू से सबको साथ लेकर चलने की बात करते हैं, लेकिन अब लोग पहले से विकसित राज्य के मॉडल को पूरे देश में लागू करने की बात करने लगे हैं. यही तो परेशानी का सबब है. मॉडल वही लागू होना चाहिए, जिससे पिछड़े राज्यों का विकास हो. नीचे से विकास हो, तभी हर तबके का विकास होगा. कार्यक्रम के बाहर उन्होंने कहा- अगर हमने मुंह खोला, तो कई लोग परेशान हो जायेंगे.
पिछड़े राज्यों का बने फ्रंट
मुख्यमंत्री ने कहा कि आर्थिक विकास के लिए पिछड़े राज्यों को एक मंच पर आने की जरूरत है. हक से वंचित पूर्वी भारत के पिछड़े राज्यों को एक फ्रंट या मंच पर आना होगा. ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक व पश्चिम बंगाल कीमुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात हुई है. फ्रंट को राजनीतिक नजरिये से न देखा जाये. केंद्र की नीतियों के कारण जो राज्य विकास की दौड़ में पिछड़ गये हैं, उन्हें विशेष सहायता देकर भरपाई करने की जरूरत है.
बिहार लैंड लॉक्ड राज्य है. इसे विशेष सहायता की दरकार है. यह देश का पहला राज्य है, जहां एक करोड़ 18 लाख लोगों ने विशेष राज्य का दर्जा के लिए हस्ताक्षर किया. प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री को कई बार ज्ञापन सौंपा गया. अंतर मंत्रालयीय समूह ने भी बिहार के पिछड़ेपन को स्वीकार किया. पुराने पड़ चुके मानदंडों में बदलाव के लिए कमेटी बनी है. मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मौजूद कमेटी के सदस्य व आद्री के सदस्य सचिव शैबाल गुप्ता से कहा कि आपसे अनुरोध है कि राज्य की ओर से मजबूत तर्क रखें. एक ऐतिहासिक अवसर मिला है. फैसला लेने में अपनी भूमिका निभाएं. दर्जा नहीं मिला, तो संघर्ष जारी रहेगा.
बिहार को भी विकास करने का अधिकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार पुनर्गठन विधेयक के प्रावधानों के अनुसार ही राज्य को राशि दी गयी है. बिहार को उसके हक से वंचित नहीं किया जा सकता. राज्य सरकार ने कृषि रोड मैप तैयार किया है. अगर केंद्र सरकार समुचित सहायता दे, तो अकेले बिहार देश को खाद्यान्न उपलब्ध करा सकता है. बिहार की आबादी देश का 8.5 प्रतिशत है, पर हम जीडीपी में लगभग तीन प्रतिशत योगदान करते हैं. चंद राज्यों पर ही देश की अर्थव्यवस्था निर्भर है. आबादी के अनुरूप बिहार अगर जीडीपी में योगदान करे, तो देश की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि ऊपर से विकास कर दें, तो वह नीचे नहीं टपकेगा. नीचे से ही ऊपर का विकास होगा. कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र, अर्थशास्त्री शैबाल गुप्ता, योजना पर्षद के उपाध्यक्ष हरि किशोर सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे.