पटना: भाकपा माले आगामी लोकसभा चुनाव में पूरे राज्य में 25 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी. माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने शुक्रवार को संवाददाताओं को बताया कि राज्य के अन्य वाम दलों से बातचीत के बाद इसे अंतिम रूप दिया जायेगा. उदारीकरण, निजीकरण, जमीन हड़प, महंगाई व बेरोजगारी आदि के सवालों पर सैद्धांतिक सहमति के आधार पर ही चुनावी तालमेल संभव होगा.
शासक पार्टियों के जनविरोधी चरित्र को देखते हुए किसी भी तरह का अवसरवादी गंठजोड़ वामपंथ के लिए घातक होगा. नीतीश सरकार के पक्ष में भाकपा विधायक का मतदान करना वामपंथ के हित में नहीं है. भाकपा को अतीत से सबक लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि 25 जून से 25 जुलाई तक पार्टी राज्यव्यापी अभियान चला कर नीतीश कुमार की अवसरवादिता के मुद्दे को मजबूती से उठाया जायेगा. गांवों व पंचायतों में सभा होगी.
मनरेगा मजदूरों के सवाल पर सात से 24 मई तक प्रखंडों में प्रदर्शन व आठ जून को राज्यव्यापी हड़ताल के दबाव में सरकार ने मजदूरी बढ़ा कर 162 रुपये की. पार्टी की मांग है कि मनरेगा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 168 रुपये हो. 25 जून को इस मामले में विजय दिवस मनाया जायेगा. 25 जुलाई से भूमिहीनों की ओर से आवासीय भूमि कब्जा करो आंदोलन तेज किया जायेगा. भाकपा माले व उसके तमाम जनसंगठन भूमि सुधार, कृषि विकास, रोजगार व जनाधिकार के मुद्दे पर आंदोलन होगा.
जदयू-भाजपा के अवसरवादी गंठबंधन का टूटना जनांदोलन व जनदावेदारी लिए अच्छा है. जब गुजरात जल रहा था, तब भी जदयू का भाजपा के साथ गंठबंधन जारी था. उन्हें यह बताना होगा कि जब गुजरात जल रहा था, तब वे चुप रहे और पिछले 17 वर्षो तक अवसरवादी गंठबंधन क्यों चलाया. संवाददाता सम्मेलन में पार्टी राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा व केंद्रीय कमेटी सदस्य कृष्णदेव यादव भी थे.