पटना सिटी: पटना नगर निगम सिटी अंचल स्थित केंद्रीय प्रधान कर्मशाला में कभी निगम के चारों अंचलों की गाड़ियां व हाथगाड़ियों की मरम्मत होती थी. अब स्थिति यह है कि निगम सिटी अंचल की गाड़ी भी नहीं बन पा रही है. वजह वही पुरानी है, कर्मचारियों की कमी व संसाधनों का अभाव. नतीजतन मामूली खराबी के कारण सात ट्रैक्टर, दो पे लोडर व 35 हाथगाड़ियां मरम्मत के लिए पड़ी हैं. कुछ ट्रैक्टर के डाला इस कदर खराब हो गये हैं कि वह भी कर्मशाला की शोभा बढ़ा रहे हैं.
40 में महज नौ कर्मचारी
कर्मशाला में कभी 40 कर्मचारी दिन -रात चारों अंचलों से आयी गाड़ियों की मरम्मत का काम करते थे. चारों अंचल में नूतन राजधानी अंचल, कंकड़बाग अंचल, बाकीपुर अंचल व पटना सिटी अंचल शामिल थे. कर्मचारियों के अवकाश ग्रहण करने की स्थिति में यह संख्या महज नौ पर सिमट गयी है. इसमें वार्ड के दो सफाईकर्मियों को कर्मशाला में लाकर उनसे कार्य लिया जा रहा है. इसमें पंक्चर बनाने का मिस्त्री 30 जून को सेवानिवृत हो जायेगा. वहीं, एक मिस्त्री इन दिनों नूतन राजधानी अंचल में प्रतिनियुक्ति पर है.
टपकता है पानी
कर्मशाला में लगे शेड चारों तरफ से टूट गये हैं. नतीजतन मूसलधार बारिश हो या बूंदाबादी हर स्थिति में शेड से पानी टपकता है. इस कारण जंग खा रही लेथ व वेल्डिंग मशीनें, बढ़ईखाना के साथ अन्य कीमती मशीनें खराब हो रही हैं. साथ ही मरम्मत के लिए आयी गाड़ियों भी खराबी हो जाती है. हद तो यह है कि कर्मशाला में कार्यरत कर्मचारियों को बरसात के समय में पक्के भवन में शरण लेना पड़ता है.
कर्मशाला प्रभारी बिदेंश्वरी प्रसाद सिंह कहते हैं अधिकारियों द्वारा कर्मशाला पर ध्यान दिया जाये, तो पुरानी प्रतिष्ठा वापस आ सकती है. सबसे अहम बात यह कि संसाधन व कर्मचारियों से लैस होने के साथ तकनीकी ज्ञानवाले को प्रभारी बनाया जाये.तभी यह विकसित होगा.
कर्मशाला प्रभारी भी 31 जुलाई को सेवानिवृत्त हो जायेंगे.