पटना: मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने लगभग आधे दर्जन विभागों के प्रमुखों को चेतावनी दी है कि अगर लंबित डीसी बिल का समायोजन जल्द नहीं हुआ, तो निकासी रोक दी जायेगी. मुख्य सचिव की सबसे ज्यादा नाराजगी कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण, गृह व विज्ञान एवं प्रावैधिकी से है. इन विभागों में सर्वाधिक डीसी बिल लंबित है.
5835 करोड़ रुपये का समायोजन होना बाकी
वर्ष 2002-03 से 31 दिसंबर, 2012 तक 31,246 करोड़ रुपये की निकासी एसी बिल के आधार पर की गयी है. इसमें से अब तक 25401 करोड़ रुपये का समायोजन हुआ है. हालांकि, इस दौरान लगभग दो वर्ष तक राज्य के सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारियों का वेतन बंद रहा. एक वर्ष तक कर्मचारियों का भी वेतन बंद रहा था.
मुख्य सचिव ने सभी विभागों को पहले 31 मार्च तक की डेडलाइन दी थी, बाद में उसे 31 मई किया गया था. 30 मई से लेकर 10 जून तक की अवधि में सर्वाधिक 1756 करोड़ रुपये का डीसी बिल समायोजन कराया गया है. अब 5835 करोड़ रुपये के डीसी बिल का समायोजन होना शेष है.
कृषि विभाग के कार्यकलाप पर मुख्य सचिव ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि डीजल अनुदान मद में एसी बिल के आधार पर 47 करोड़ रुपये की निकासी का डीसी बिल समायोजित कराने में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए थी, लेकिन अब तक समायोजन नहीं हुआ है.
अगर राशि का वितरण किया गया है, तो प्राप्ति रसीद के आधार पर इस राशि का समायोजन कराया जाना चाहिए. शिक्षा विभाग का कहना था कि मध्याह्न् भोजन योजना के तहत अनुदान के रुप में राशि खर्च की गयी है, लेकिन उसे एसी बिल की श्रेणी में रखे हुए है.
मुख्य सचिव ने स्वास्थ्य विभाग के कार्यकलापों को असंतोषप्रद बताते हुए कहा कि उत्तर बिहार व दक्षिण बिहार का अलग-अलग सिविल सजर्नों व भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंताओं की संयुक्त बैठक बुला कर लंबित डीसी बिल का समायोजन कराएं. पंचायती राज विभाग को निर्देश दिया गया कि 2011-12 तक की गयी राशि खर्च नहीं हुई है, तो उसे राज्य के खजाने में जमा कराएं. समाज कल्याण विभाग का भी 949.37 करोड़ के डीसी बिल समायोजन के लिए लंबित है.