पटना: महात्मा गांधी सेतु का पाया नंबर 44 पिछले चार वर्ष से क्षतिग्रस्त है. तकनीकी टीम ने क्षतिग्रस्त पाया संख्या-44 के पुनर्निर्माण का प्रस्ताव दिया था, किंतु दो बार की कोशिश बेकार रही. पाया निर्माण के लिए विभाग ने एक बार फिर टेंडर निकाला है.
इस बार पाया संख्या-44 और सतह के पुनर्निर्माण के लिए गांधी सेतु का निर्माण करनेवाली कंपनी गैमन इंडिया ने भी टेंडर डाला है. इसके अलावा मुंबई की फ्रेसिटेट कंपनी, असम की डीएएस और चंडीगढ़ की शिमला कंपनी ने टेंडर डाले हैं. टेंडर जुलाई तक फाइनल होने की उम्मीद है.
तकनीकी रूप में डैमेज हो चुके पाया संख्या-44 के पश्चिमी लेन को डेढ़ वर्ष पूर्व ही बंद कर दिया गया है. पुल पर लगभग एक किलो मीटर तक वाहनों को सिंगल-रोड से ही पार करना पड़ रहा है. पुल की पश्चिमी सतह डेढ़-से-दो फीट तक झुक गयी है.
टुकड़ों में हुआ काम
सेतु के कायाकल्प के लिए पथ निर्माण विभाग पिछले पांच वर्षो से लगातार मंथन कर रहा है. विभाग ने पुल की सड़क को एलिमेटेड रोड में तब्दील करने का काम शुरू किया है, किंतु इसकी सेहत अभी भी नहीं सुधरी है. गांधी सेतु की रूटीन मरम्मत का कार्य 1990-91 से ही जारी है. अब-तक पुल की मरम्मत पर 87. 22 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.
इसकी मरम्मत टुकड़ों में करायी गयी. नतीजा यह हुआ कि मरम्मत के बाद भी पुल का स्थायी समाधान आज तक नहीं हुआ. वीके रैना की सव्रे टीम ने एक ही बार पुल मरम्मत कराने की सिफारिश केंद्र सरकार से की थी. सव्रे टीम ने 167 करोड़ का प्रोजेक्ट भी बना कर दिया था, किंतु आज तक उसकी स्वीकृति नहीं मिली है.