पटना: रोजगार की तलाश में राज्य के ग्रामीण इलाकों से लोगों का पलायन बढ़ा है. मनरेगा में काम नहीं मिलने के कारण अधिक पलायन हो रहा है. छोटे व सीमांत किसान भी पलायन कर रहे हैं. महाराष्ट्र, पंजाब व असम के बजाय अब दिल्ली, गुजरात, हरियाणा व उत्तर पूर्व के राज्यों में लोग अधिक जा रहे हैं. काम कराने के लिए बच्चे भी बाहर ले जाये जा रहे हैं. यह खुलासा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस द्वारा गया, भोजपुर व औरंगाबाद में सैंपल सर्वे से हुआ है.
सोमवार को सर्वे रिपोर्ट जारी करते हुए एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व प्रोफेसर व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य डॉ एस नारायण व ऑक्सफोर्ड विवि के पूर्व प्राध्यापक डॉ देवराज भट्टाचार्य ने बताया कि पलायन करनेवालों में अधिकतर लोग भूमिहीन मजदूर व पांच एकड़ से कम जमीनवाले किसान हैं. सर्वे में बताया गया है कि पलायन के मामले में यूपी के बाद बिहार दूसरे नंबर पर है. विदेशी व अन्य पर्यटक काम कराने के लिए गया से गरीबों के बच्चों को साथ ले जाते हैं.
गया में 93, भोजपुर में 54 व औरंगाबाद में 100 प्रतिशत लोगों को मनरेगा से काम नहीं मिला. पलायन करनेवालों में ज्यादातर एसएसी-एसटी वर्ग के हैं. इनमें 58 प्रतिशत बीपीएल परिवारों के हैं. 65 प्रतिशत के पास कृषि योग्य भूमि नहीं है. 81 प्रतिशत के पास एक एकड़ से कम जमीन है. 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि बाहर काम करने से जीवन स्तर सुधारा है. बचत राशि घर भेज सकते हैं. 30 प्रतिशत ने कहा कर्ज चुकाने की क्षमता बढ़ी है.
34 प्रतिशत ने कहा मेडिकल खर्च पूरा करने में मदद मिली. सर्वे में पाया गया कि पहले कम समय के लिए लोग बाहर जाते थे, लेकिन अब लंबी अवधि के लिए जाते हैं. महाराष्ट्र व असम में बिहारियों के साथ मारपीट करने के कारण दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. बाहर जानेवालों की पंचायतों में कोई जानकारी नहीं है और न ही जागरूकता के लिए काम हो रहे हैं.