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भोथरे औजार से होता है ऑपरेशन

पीएमसीएच के स्त्री रोग एवं प्रसव विभाग के ओटी में कैंची ऐसी है कि उससे कपड़ा भी काटना मुश्किल है, लेकिन उसी से हर दिन 10 से अधिक ऑपरेशन होते हैं. ओटी को स्टेलाइज करने का भी कोई मानक नहीं बनाया गया है. ओटी टेबल पर कीड़े चलते हैं. इससे संक्रमण की आशंका बनी रहती […]

पीएमसीएच के स्त्री रोग एवं प्रसव विभाग के ओटी में कैंची ऐसी है कि उससे कपड़ा भी काटना मुश्किल है, लेकिन उसी से हर दिन 10 से अधिक ऑपरेशन होते हैं. ओटी को स्टेलाइज करने का भी कोई मानक नहीं बनाया गया है. ओटी टेबल पर कीड़े चलते हैं. इससे संक्रमण की आशंका बनी रहती है. विभाग की ओर से अस्पताल प्रशासन को कई बार लिखा भी गया है. ऑपरेशन के दौरान मरीजों को बाहर से दवाएं मंगवानी पड़ती हैं. ब्लेड व सीरिंज तक बाहर से मंगाना पड़ता है.

पटना: ऑपरेशन के बाद महिलाओं को जिस आइसीयू में रखा जाता है, उसका हाल जेनरल वार्ड से भी बुरा है. उसका एसी खराब है और मुख्य द्वार पूरी तरह से खुला रहता है. इसमें आने-जाने के लिए चप्पल-जूता खोलने की भी जरूरत नहीं है. आप आराम से कभी भी जा सकते हैं. मरीज का पल्स नापनेवाले अधिकतर मॉनीटर खराब हो चुके हैं.

मरीजों को हजारों की दवाएं बाहर से खरीद कर लानी पड़ती हैं. चिकित्सक समय से आ जाते हैं, बस शाम का राउंड लेने नहीं आते हैं. विभाग में तैनात महिला व पुरुष सुरक्षा कर्मचारी दवा की दलाली करते हैं. मरीज के परिजन जब बाहर से दवा लेने निकलते हैं, तो उन्हें सुरक्षा कर्मचारी दलाल से मिलवा देते हैं, जो परिजन को लेकर दुकान पर जाते हैं और दवा दिलवाते हैं. इसके बाद उस गार्ड को इसके एवज में पैसे मिल जाते हैं. यहां मरीजों की भीड़ अधिक होने के कारण दवा दुकान से जुड़े दलाल दिन भर विभाग के आसपास चक्कर लगाते रहते हैं.

क्या हैं कमियां

ओटी चार हैं. दो और की जरूरत है.

लेबर रूम दो हैं. दो और की जरूरत है.

औजार : लगभग 20 साल पुराना (बीच में कुछ खरीदे गये).

कभी-कभी चिकित्सकों के लिए गाउन कम पड़ जाते हैं.

ओटी को नहीं किया जाता है स्टेलाइज, टेबल पर चलते हैं कीड़े.

बीपी मशीन की कमी, पीजी को खुद खरीदनी पड़ती है.

आइसीयू के छह बेड, मगर जेनरल वार्ड की तरह.

ओटी के बाहर परिजनों के बैठने की जगह नहीं.

सीरिंज व गलप्स तक बाहर से खरीद कर लाते हैं परिजन

ऑपरेशन के दौरान 4-पांच हजार की दवाएं बाहर से लानी पड़ती हैं.

गैस की दवा नहीं मिलती मरीजों को

मरीज को बाहर से लाना पड़ता है ब्लेड

आइसीयू के लगभग सभी मॉनीटर खराब

मरीजों से बात

डॉक्टर साहब समय से आते हैं. नर्स कभी-कभी आने में देरी करती हैं. दवा बाहर से खरीद कर लानी पड़ती है.

मीना कुमारी, सोनपुर

महंगी दवाइयां बाहर से लानी पड़ती हैं. कॉटन तक बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है.चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी हर काम के लिए पैसा मांगते हैं.

सोनी देवी, पटना

अस्पताल से दवा नहीं मिलती है. डॉक्टर व नर्स समय से आते हैं. हमको बताया गया था कि यहां सब कुछ मुफ्त मिलता है, लेकिन यहां आने के बाद मालूम चला कि यहां सब कुछ पैसा लेकर मिलता है.

गीता देवी, मुजफ्फरपुर

आइसीयू व ओटी को बनाया जाना है. मॉनीटर नया आयेगा. इसको लेकर थोड़ी परेशानी है, लेकिन एसी को देखा जायेगा कि बनने लायक है या नहीं. दवा मरीजों तक पहुंचे, इसको लेकर भी योजना बनायी गयी है. बहुत जल्द दवा की व्यवस्था को ठीक कर लिया जायेगा.

डॉ सुधांशु सिंह, उपाधीक्षक

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