पटना: दीघा कृषि भूमि आवास बचाओ संघर्ष समिति ने दीघा व राजीव नगर स्थित जमीन को शुल्क लेकर कानूनी अधिकार दिये जाने के सरकार के फॉमरूले को खारिज कर दिया है.
समिति ने साफ कहा कि वे लोग न तो पैसा देंगे और न ही जमीन. अगर दीघा की 1024.52 एकड़ भूमि को तत्काल अधिग्रहण मुक्त नहीं किया गया, तो चक्का जाम कर दिया जायेगा. सरकार की वसूली नीति के खिलाफ दीघा-राजीव नगर वासियों ने बुधवार की शाम रोड नंबर 24 से रेलवे लाइन, राजीव नगर तक कैंडल मार्च भी निकाला.
जमीन सरकार की नहीं तो पैसा क्यों दें
स्थानीय निवासी व समिति के सदस्य डॉ एमके बंका ने कहा कि जब यह जमीन ही सरकार की नहीं है तो हम पैसा क्यों दें. हमने तो जमीन किसानों से ली थी, जिनको 25 साल तक सरकार ने पैसा दिया ही नहीं. दीघा के तमाम किसानों और मकान मालिकों ने तय किया है कि वे न तो एक रुपया देंगे और न ही जमीन देंगे.
रजिस्ट्री या लीज क्लियर नहीं
उन्होंने कहा कि कैबिनेट के निर्णय में यह क्लियर नहीं है कि पैसे लेकर भी सरकार लीज करेगी या रजिस्ट्री. अगर लीज होगा तो हमारी क्या हमारी पुश्तें जिंदगी भर भुगतान ही करते रहेंगे. खाली जमीन को कब्जे में लिये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी लोगों ने एक साथ जमीन खरीदी. अगर किसी ने पैसा रहने पर मकान बना लिया और कोई अर्थाभाव के कारण नहीं बना पाया तो इसमें उनकी क्या गलती है? उन्होंने कहा कि सरकार दीघा वासियों को अंग्रेजों के डिवाइड एंड रूल नीति के तहत दो भाग में बांट कर शासन करना चाहती है. दीघावासी यह होने नहीं देंगे. हम पूरी ताकत के साथ इसका विरोध करते रहेंगे.
नहीं हुआ क्षेत्र का विकास
समिति के सदस्यों ने कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र का कोई विकास भी तो नहीं किया. किसानों या फिर मकान मालिकों ने ही अपनी जमीन पर रास्ता छोड़ कर सड़क बनाया. अभी किसानों को जिस जमीन के लिए बाजार से 30 लाख रुपये मिल रहे हैं, वो जमीन सरकार को 10 लाख रुपये में क्यों दे. वो पैसा भी मिल जायेगा, इसका क्या भरोसा?