मंत्री से अफसर तक अनजान
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना शुरू करने का एलान किया है. बिहार में पहले से आदर्श ग्राम योजना चल रही है, जिसका मकसद वंचित तबकों की बहुलता वाले गांवों को विकास की मुख्यधारा के साथ जोड़ना है.
गया के 225 गांवों में केंद्र प्रायोजित पीएम आदर्श ग्राम योजना चल रही है. आदर्श ग्राम के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के क्रम में कई रोचक पहलू सामने आये.
पटना : राज्य में सरकार के जरिये आदर्श ग्राम की तलाश दिचलस्प रही. इस संवाददाता ने ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्र को फोन कर जानना चाहा कि यहां कितने आदर्श ग्राम हैं?
और इन गांवों पर कितना पैसा खर्च किया जाता है? उन्होंने कहा, ‘इसका ग्रामीण विकास विभाग से सरोकार नहीं है. मैं जहां तक समझ रहा हूं कि यह योजना अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग से संचालित होती है. बेहतर होगा कि आप राजू साहब (जो हाल तक वहां के सचिव थे) से बात करें. वे आपकी मदद कर सकते हैं.’ हमने एसएम राजू को फोन किया.
उन्होंने कहा कि आधे घंटे में फोन करें. हमने फिर फोन किया. जवाब में राजू साहब का एसएमएस आया, ‘आइ एम इन ए मीटिंग.’ उनकी पोस्टिंग अब ग्रामीण विकास विभाग में हो गयी है.
हमने अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग के अपर सचिव सुरेश पासवान से बात की. उन्होंने कहा कि आप जिस योजना के बारे में पूछ रहे हैं, संभवत: पंचायती राज विभाग नोडल एजेंसी है. वहां संपर्क किया जाये. अब हम पंचायती राज विभाग के रमाशंकर प्रसाद दफ्तुआर के सामने अपने सवाल के साथ फोन पर हाजिर थे. उनका कहना था कि पंचायती राज की योजनाओं में यह शामिल नहीं है.
स्वच्छता वगैरह के चलते लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग किसी गांव को आदर्श घोषित करता है. बेहतर होगा कि आप वहां बात करें. हमने उस विभाग के मंत्री महाचंद्र सिंह को फोन किया. रिसीव नहीं होने पर लैंड लाइन पर फोन मिलाया. जवाब मिला कि मंत्री जी छपरा गये हुए हैं.दोबारा उनका मोबाइल स्विच ऑफ बताने लगा. उसी विभाग के अधीक्षण अभियंता डीपी सिंह से बात की. सवाल बताया तो उन्होंने कहा, ‘जहां तक मेरी जानकारी है, आदर्श ग्राम की घोषणा मेरे विभाग से नहीं होती.’