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वोटिंग प्रक्रिया में होगा बदलाव!

पटना : बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की वोटिंग प्रक्रिया में बदलाव होंगे. इसके लिए विशेष आमसभा की बैठक 30 अगस्त को बुलायी गयी है. इसमें चुनाव नियमावली में कई बदलाव हो सकते हैं. पिछले साल हुए चुनाव में मचे बवाल के बाद उपाध्यक्ष शशि मोहन के नेतृत्व में कमेटी भी बनायी गयी, ताकि […]

पटना : बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की वोटिंग प्रक्रिया में बदलाव होंगे. इसके लिए विशेष आमसभा की बैठक 30 अगस्त को बुलायी गयी है. इसमें चुनाव नियमावली में कई बदलाव हो सकते हैं.

पिछले साल हुए चुनाव में मचे बवाल के बाद उपाध्यक्ष शशि मोहन के नेतृत्व में कमेटी भी बनायी गयी, ताकि वर्तमान चुनाव नियमावली पर पुनर्विचार किया जा सके, जिसमें सदस्यों की आम राय भी ली गयी है. इस बैठक में चैंबर के लगभग 800 सदस्य शामिल होंगे. सदस्यों के जो भी सर्वसम्मत विचार होंगे, उन्हीं के अनुसार चुनाव कराये जायेंगे.

इन मुद्दों पर होगी चर्चा

वर्तमान व्यवस्था में चैंबर का चुनाव पोस्टल बैलेट घर पर भेज कर होता है, इस मुद्दे पर आम सदस्यों से राय ली जायेगी कि चुनाव पहले की तरह हो या चैंबर में ही आकर सदस्य मतदान करें. यही नहीं, भेजे गये पोस्टल बैलेट का नंबर रजिस्टर में दर्ज होने से पता चल जाता है कि किसने ने किसके पक्ष में मतदान किया है. चैंबर के पदाधिकारियों का कार्य अवधि वर्तमान में एक साल की है.

इसे दो, तीन या पांच साल किया जाये, इस पर भी चर्चा होगी. चैंबर के अध्यक्ष पीके अग्रवाल कहते हैं कि वोटिंग प्रक्रिया पर आम सदस्यों की राय ली जायेगी. जरूरत पड़ने पर बदलाव किया जायेगा. वहीं दिलजीत खन्ना ने कहा कि अन्य राज्यों झारखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में चैंबर में आ कर वोट देने का प्रावधान है. पटना में भी बांकीपुर क्लब, गोल्फ क्लब, बीआइए, बिल्डर्स एसोसिएशन, बीसीडीए में मतदान केंद्र पर ही वोट देने का नियम है.

पूर्व अध्यक्षों ने दिये हैं सुझाव

पूर्व अध्यक्ष मोती लाल खेतान ने सुझाव दिया है कि स्थानीय सदस्यों के लिए चैंबर में ही आकर सीक्रेट वोटिंग का प्रावधान होना चाहिए. यदि पटना से बाहर एक जिले में 15 सदस्य हैं, तो उनसे वहां जाकर वोटिंग करायी जानी चाहिए. चैंबर के पदाधिकारियों का कार्यकाल दो साल किया जाना चाहिए.

पूर्व अध्यक्ष युगेश्वर पांडेय ने भी चैंबर ऑफिस में आकर ही मतदान करने की बात कही. उन्होंने कहा कि अध्यक्ष का कार्यकाल अधिकतम दो साल का होना चाहिए. पूर्व अध्यक्ष ओपी साह ने सदस्यों के लिए चैंबर में आकर वोटिंग कराने का सुझाव दिया है.

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