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पटना : केंद्रीय योजनाओं में पैसे आये कम कई विभागों की राशि होगी सरेंडर

पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कई विभागों को अपनी योजना मद के रुपये सरेंडर करने पड़ सकते हैं. कुछ विभागों को बड़ी राशि सरेंडर करनी पड़ सकती है. इसमें शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य व समाज कल्याण समेत ऐसे कुछ अन्य विभाग शामिल हैं. इसकी मुख्य वजहों में सभी विभागों में चलने वाली केंद्र […]

पटना : चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान कई विभागों को अपनी योजना मद के रुपये सरेंडर करने पड़ सकते हैं. कुछ विभागों को बड़ी राशि सरेंडर करनी पड़ सकती है.
इसमें शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य व समाज कल्याण समेत ऐसे कुछ अन्य विभाग शामिल हैं. इसकी मुख्य वजहों में सभी विभागों में चलने वाली केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) की राशि में बड़े स्तर पर कटौती होना शामिल है. सीएसएस के अंतर्गत राज्य में करीब 52 योजनाएं चलती हैं. इस मद में चालू वित्तीय वर्ष के दौरान 35 हजार करोड़ रुपये आने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अब तक महज 15 हजार करोड़ रुपये ही आये हैं.
निर्धारित राशि में आधे से कम रुपये अब तक आने की वजह से इन योजनाओं में राज्यांश मद की बड़ी राशि भी खर्च नहीं हो पायी है. अब वित्तीय वर्ष समाप्त होने में महज डेढ़ महीने ही बचे हैं. ऐसे में इस मद की राशि खर्च होने में सबसे बड़ी समस्या आ रही है. इसके सरेंडर होने की संभावना सबसे ज्यादा हो गयी है. इसका सीधा असर योजना आकार के खर्च पर भी पड़ेगा.सभी विभागों ने मिलकर अब तक करीब 55 फीसदी राशि ही खर्च की है.
चालू वित्तीय वर्ष के दौरान योजना आकार एक लाख करोड़ के आसपास का है. केंद्र प्रायोजित कई महत्वपूर्ण योजनाओं में निर्धारित राशि से कम रुपये आये हैं.
जमा कर नहीं दिखा पायेंगे अधिक खर्च
इस बार वित्त विभाग ने सभी विभागों पर खर्च को लेकर वित्तीय प्रबंधन सख्त कर दिया है. सभी विभागों से कहा गया है कि जितनी राशि खर्च करनी है, उतनी ही खजाने से निकालें. किसी नयी योजना मद में बिना वित्त विभाग की समीक्षा या अनुमति के रुपये नहीं निकाले जायेंगे. पहले से खर्च हुए रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र जमा किये बिना खजाने से रुपये की निकासी नहीं होगी. इस वजह से अब कोई विभाग बैंक खातों में योजना में खर्च के नाम पर रुपये को रखकर इसे अपने खर्च में नहीं दिखा सकता है.
जिस विभाग ने जितना रुपया वास्तव में खर्च किया है, उतना ही खर्च के रूप में दिखेगा. सभी विभागों से यह भी कहा गया है कि वे बैंक एकाउंट या पीएल एकाउंट में जमा रुपये को खजाने में वापस जमा करा दें. इस वजह से विभाग सिर्फ खर्च हुए रुपये की वास्तविक स्थिति ही दिखा पायेंगे.

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