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पटना : पांच सालों में बैंकों में 50% बढ़ा डिपॉजिट

लोन देने की रफ्तार बढ़ी महज 32 प्रतिशत पटना : राज्य में मौजूद बैंकों का अपना कारोबार जिस तेजी से बढ़ा है, उस तेजी से आम लोगों को कर्ज बांटने की रफ्तार नहीं बढ़ी है. खासकर कोर सेक्टर कृषि के अलावा स्वरोजगार व मत्स्य समेत ऐसे अन्य महत्वपूर्ण सेक्टरों में. पिछले पांच वर्षों के दौरान […]

लोन देने की रफ्तार बढ़ी महज 32 प्रतिशत
पटना : राज्य में मौजूद बैंकों का अपना कारोबार जिस तेजी से बढ़ा है, उस तेजी से आम लोगों को कर्ज बांटने की रफ्तार नहीं बढ़ी है. खासकर कोर सेक्टर कृषि के अलावा स्वरोजगार व मत्स्य समेत ऐसे अन्य महत्वपूर्ण सेक्टरों में. पिछले पांच वर्षों के दौरान बैंकों में कैश डिपॉजिट की दर में 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि लोन देने में महज 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.
अगर इसे प्रत्येक वर्ष के सीडी रेशियो के अनुपात में देखा जाये, तो पिछले पांच वर्षों के दौरान साख-जमा अनुपात औसत 44 प्रतिशत रहा. वित्तीय वर्ष 2015-16 की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के सीडी रेशियो में दो प्रतिशत की कमी आयी है. वित्तीय वर्ष 2015-16 के दौरान राज्य के सभी बैंकों में यहां लोगों ने दो लाख 40 हजार करोड़ रुपये जमा कराये, जो 2019-20 में बढ़कर हो गया तीन लाख 63 हजार करोड़. यानी इसमें एक लाख 20 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई. यह 50 प्रतिशत है.
लोगों को कर्ज देने में दिलचस्पी नहीं
वहीं, 2015-16 के दौरान बैंकों ने एक लाख आठ हजार करोड़ रुपये के सभी तरह के कर्ज बांटे थे. 2019-20 के दौरान महज एक लाख 49 हजार करोड़ के ही कर्ज बांटे. यानी कर्ज देने में महज 41 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई है. अगर कर्ज देने के इस अनुपात में प्राथमिक सेक्टर की बात करें, तो यह 32 प्रतिशत से काफी कम हो जायेगा. इसके अलावा बैंकों के एनपीए (नन-परफॉर्मिंग एसेट) पर बात करें, तो पिछले पांच वर्षों के दौरान इसमें करीब एक प्रतिशत की ही बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में यहराष्ट्रीय औसत से भी कम 11.32 प्रतिशत है. इससे यह नहीं कहा जा सकता कि बैंकों के पैसे यहां डूब रहे हैं, बल्कि बैंक वाले यहां के पैसे से दूसरे राज्यों में कर्ज दे रहे हैं और सूबे के लोगों को कर्ज देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.

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