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बिहार को जीएसटी की मिलने वाली राशि में केंद्र ने की 15 हजार करोड़ की कटौती
पटना : भारत में चल रही मंदी के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पांच फीसदी के निचले स्तर पर पहुंच चुका है. इसका असर सीधे तौर पर जीएसटी संग्रह पर भी पड़ा है. इस वजह से चालू वित्तीय साल 2019-20 के अंतिम दो महीने में केंद्र सरकार से जीएसटी मद में बिहार को मिलने वाली […]
पटना : भारत में चल रही मंदी के कारण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पांच फीसदी के निचले स्तर पर पहुंच चुका है. इसका असर सीधे तौर पर जीएसटी संग्रह पर भी पड़ा है.
इस वजह से चालू वित्तीय साल 2019-20 के अंतिम दो महीने में केंद्र सरकार से जीएसटी मद में बिहार को मिलने वाली राशि में भी बड़ी कटौती कर दी गयी है. इस वित्तीय वर्ष के दौरान जीएसटी मद में 78 हजार करोड़ रुपये आने का प्रावधान था. इसमें 15 हजार करोड़ की कटौती कर दी गयी है. इससे अब राज्य को 63 हजार करोड़ रुपये ही मिलेंगे. हालांकि इसमें करीब आधी से ज्यादा राशि प्राप्त हो चुकी है. कटौती के बाद 63 हजार करोड़ में बची हुई शेष राशि मार्च के अंत तक दो-तीन किस्तों में बिहार को मिलेगी.
हालांकि केंद्र सरकार ने नये वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पेश किये अपने बजट में करीब दो हजार करोड़ ज्यादा देने की बात कही गयी है. इसमें करीब 600 करोड़ रुपये पहली बार पोषक मद और करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपये विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के ग्रांट या अनुदान में अतिरिक्त रूप से प्राप्त होंगे.
परंतु कटौती की गयी राशि की तुलना में नये बजट में अतिरिक्त मिलने वाली यह राशि नाकाफी है. केंद्रीय स्तर पर जीएसटी संग्रह में कमी आने के कारण नये वित्तीय वर्ष के लिए जीएसटी मद में इसी वर्ष जितनी राशि 79 हजार करोड़ ही देने का प्रावधान कर दिया गया है. इस कटौती का व्यापक असर राज्य के वित्तीय सेहत के साथ ही आगामी वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट पर भी पड़ेगा. इस कारण बिहार का नया बजट करीब सवा दो लाख होने का जो अनुमान था, उसमें कटौती होने की संभावना है.
इसके अब चालू वित्तीय वर्ष के बजट दो लाख 500 करोड़ से थोड़ा ज्यादा या अधिकतम दो लाख 10 हजार करोड़ तक ही पहुंचने की संभावना है. नये बजट को लेकर सरकार के स्तर पर अंतिम बैठक होनी अभी बाकी है. इसमें नये बजट का आकार बढ़ाने पर खासतौर से फोकस किया जायेगा. इसके लिए राज्य के आंतरिक स्रोतों से टैक्स संग्रह के बेस को बढ़ाने के लिए समीक्षा की जायेगी.
चालू वित्तीय वर्ष में आंतरिक स्रोतों से करीब 27 हजार करोड़ टैक्स संग्रह का लक्ष्य रखा गया है. इसमें अब तक करीब 60 फीसदी टैक्स ही संग्रह हो पाया है. अभी दो महीने बचे हुए हैं, जिसमें लक्ष्य पूरा होने की संभावना है. फिर भी केंद्र के स्तर से की गयी इस बड़ी कटौती का काफी असर रहेगा ही.
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