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पटना जीपीओ घोटाला : पहले भी गड़बड़ी कर चुका है निलंबित डाकपाल

बिहार का पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रह चुका है सुजय तिवारी पटना : पटना जीपीओ घोटाला मामले में निलंबित सहायक डाकपाल सुजय तिवारी बिहार का पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रह चुका है. यह अपने जमाने में एक अच्छा आॅलराउंडर था. खेल के बल पर ही सुजय तिवारी की नियुक्त खेल कोटे से डाक विभाग में सहायक के […]

बिहार का पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रह चुका है सुजय तिवारी
पटना : पटना जीपीओ घोटाला मामले में निलंबित सहायक डाकपाल सुजय तिवारी बिहार का पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी रह चुका है. यह अपने जमाने में एक अच्छा आॅलराउंडर था.
खेल के बल पर ही सुजय तिवारी की नियुक्त खेल कोटे से डाक विभाग में सहायक के रूप में हुई थी. नौकरी पाने के बाद भी इनका खेल बदस्तूर जारी रहा. ये पहले भी कई मामले में डाक विभाग में संदिग्ध रह चुके है. वर्ष 1998-2002 में बांकीपुर में नकली स्टांप, पोस्टल आॅर्डर और कंप्यूटर पार्ट्स के मामले में सुजय तिवारी का नाम उजागर हुआ था. इस मामले के लिए जांच टीम गठित की गयी थी. लेकिन, मामले को विभागीय स्तर पर रफा-दफा कर दिया गया.
अधिकारियों की मानें तो तिवारी कंप्यूटर का अच्छा जानकार है. इसी जानकारी का लाभ उठाकर पटना जीपीओ में साइलेंट अकाउंट से करोड़ों रुपये कुछ सहयोगी से मिल कर किया है. प्राप्त सूत्रों के अनुसार बांकीपुर पोस्ट ऑफिस से पटना जीपीओ में तबादला वर्ष 2017 में सर्किल स्तर पर हुआ था. उसके बाद यह पटना जीपीओ के प्रमुख शाखा के प्रभार में रहा. उसी का लाभ उठाकर तिवारी ने घोटाले को अंजाम दिया.
मैच्योरिटी अमाउंट के मामले को दबा दिया गया : पटना जीपीओ में 2017- 2018 में एफडी मैच्योरिटी अमाउंट से कम का चेक जारी कर शेष पैसा वाउचर के माध्यम से पैसा निकालने का मामला प्रकाश में आया था. इसके लिए जांच कमिटी भी गठित की गयी थी. लेकिन इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
आयकर विभाग क्यों चुप : आयकर के जानकारों का कहना है कि अगर किसी विभाग में इतने बड़े पैमाने पर घोटाला लगभग 4.50 करोड़ रुपये का हो चुका है और घोटाले में शामिल कर्मचारियों द्वारा पिछले दस दिन में 1.23 करोड़ जमा किया गया है. इस पर आयकर विभाग को संज्ञान लेना चाहिए था. आखिर इस मामले में आयकर विभाग क्यों चुप है. समझ से परे है जबकि छोटे- छोटे में मामले में विभाग छापेमारी करता है.
अलग-अलग स्तर पर चलेगी जांच
डाक विभाग के वरीय अधिकारी की मानें तो घोटाले में शामिल भी पांच कर्मचारियों पर अलग- अलग स्तर पर जांच चलेगी. देर-सवेर इन लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होना निश्चित है. कानून के जानकारों की मानें तो पांच कर्मचारियों के खिलाफ पीएडी एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है. लेकिन इसके पूर्व पटना जीपीओ प्रशासन की कोशिश होगी कि अधिक से अधिक राशि जमा कर लिया जाये.

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