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पटना : शहर में लिंगानुपात घटा, 900 प्रति हजार दर्ज हुई लड़कियों की संख्या
राजदेव पांडेय पटना : राज्य में जन्म के समय का लिंगानुपात गिर गया है. इस आशय की रिपोर्ट सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) ने हाल ही में जारी की है. एसआरएस की पिछली रिपोर्ट (2014-16) में बिहार का लिंगानुपात प्रति हजार अाबादी पर 908 (लड़की) था, जो अब घटकर 900 पर आ टिका है. गिरावट में […]
राजदेव पांडेय
पटना : राज्य में जन्म के समय का लिंगानुपात गिर गया है. इस आशय की रिपोर्ट सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) ने हाल ही में जारी की है. एसआरएस की पिछली रिपोर्ट (2014-16) में बिहार का लिंगानुपात प्रति हजार अाबादी पर 908 (लड़की) था, जो अब घटकर 900 पर आ टिका है.
गिरावट में निरंतरता जारी है. एसआरएस की यह रिपोर्ट मई 2019 में जारी की गयी है. एसआरएस की रिपोर्ट आने के बाद राज्य की स्वास्थ्य एजेंसियां सतर्क हो गयी हैं. दरअसल हॉस्पिटल मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एचआइएमएस) के मुताबिक बिहार का वर्तमान लिंगानुपात 914 है. इस तरह एसआरएस और एचआइएमएस के आंकड़ों में अंतर है. हालांकि एचआइएमएस का आंकड़ा केवल सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट पर आधारित है, जबकि एसआरएस के दायरे में निजी अस्पताल और अल्ट्रासाउंड सेंटर्स भी आते हैं. महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह रिपोर्ट बड़ा झटका मानी जा रही है. हालांकि इसके आंकड़ों का सत्यापन किया जा रहा है. एसआरएस की रिपोर्ट का आकलन कर रहे विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यही हालात रहे, तो बिहार में आबादी असंतुलित हो सकती है. बता दें कि बिहार का लिंगानुपात लगातार नीचे आ रहा है.
– 06 पीएनडीटी एक्ट के तहत अब तक हुई सजा
नोट : यह सजा अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर हुई. इसमें जुर्माना लगाया गया.
2011 की जनगणना के मुताबिक
वर्ष 2001 में लिंगानुपात
942 था, जो 2011 मेंघट कर 933 रह गया. इसमें तकरीबन प्रति वर्ष एक अंक की गिरावट जारी है.
बिहार के शहरी क्षेत्रों में 2001 में लिंगानुपात
924 और ग्रामीण क्षेत्रों में 944 था, जबकि 2011 में यह आंकड़ा शहर में 906 और ग्रामीण क्षेत्रों में 935 रहा. इस प्रकार शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण की अपेक्षा दो गुना लिंगानुपात घटा.
सबसे कम लिंगानुपात वाले जिलों में पटना, वैशाली, लखीसराय और बांका शािमल हैं.एसआरएस की रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है. हालांकि इस दिशा में विभाग कई सकारात्मक कदम उठा रहा है. सबसे कम लिंगानुपात वाले जिलों में अब नुक्कड़ नाटक आदि के कार्यक्रम करवाये जायेंगे. इसके जरिये घटते लिंगानुपात के प्रति जागरूक किया जायेगा. लोगों को बताया जायेगा कि बेटियां समाज के लिए क्यों जरूरी हैं. महिला सशक्तीकरण की दिशा में हम प्रभावी कार्यक्रम लागू करेंगे.
सज्जाद, प्रोग्राम अफसर, राज्य स्वास्थ्य समिति
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