पटना : हर साल बाढ़ और सूखे झेलने वाले बिहार में जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन और शोध के लिए राज्य में अपनी तरह का पहला केंद्र पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग की देखरेख में काम करेगा. इसमें राज्य की छोटी-बड़ी विभिन्न गतिविधियों के दौरान पर्यावरण में होने वाले बदलाव और उसका मौसम पर पड़ने वाले असर को लेकर शोध किया जायेगा. शोध में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर राज्य में पर्यावरण अनुकूल और जनोपयोगी नीतियां बनाने में सरकार को सुविधा होगी.
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राज्य में पहला जलवायु परिवर्तन शोध केंद्र बनेगा
पटना : हर साल बाढ़ और सूखे झेलने वाले बिहार में जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन और शोध के लिए राज्य में अपनी तरह का पहला केंद्र पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग की देखरेख में काम करेगा. इसमें राज्य की छोटी-बड़ी विभिन्न गतिविधियों के दौरान पर्यावरण में होने वाले बदलाव और उसका मौसम पर पड़ने […]
केंद्र सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पांच साल की इस परियोजना के लिए दो करोड़, 20 लाख, 60,912 रुपये की मंजूरी दी है. साथ ही पहली किस्त के रूप में 2019-20 के लिए करीब 65 लाख, 61 हजार जारी कर दिया है. पटना के अरण्य भवन में अक्तूबर तक काम शुरू होने की संभावना है.
राज्य का हरित आवरण करीब 15 फीसदी है : सूत्रों का कहना है कि राज्य का हरित आवरण करीब 15 फीसदी है. यहां वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी होने और शहरीकरण बढ़ने के साथ ही वायु व ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है. बारिश की मात्रा में कमी आयी है. साथ ही बारिश होने के अंतराल में भी गड़बड़ी हुई है.
बाढ़ और सूखे की समस्या हर साल आने लगी है. फसल चक्र पर असर पड़ रहा है. ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जा रहा है. ऐसे में पर्यावरण को प्रभावित करने वाली राज्य में घटने वाली सभी घटनाओं का अध्ययन आवश्यक था. इसके लिए ही जलवायु परिवर्तन के संबंध में शोध केंद्र बनाया जा रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
पर्यावरण वन व जलवायु परिवर्तन विभाग में इकोलॉजी के निदेशक संतोष तिवारी ने बताया कि राज्य में जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव के बारे में कोई डाटा नहीं था. शोध शुरू होने से डाटा मिलने लगेगा और उसे सुरक्षित रखा जायेगा. इस आधार पर राज्य सरकार को पर्यावरण के संबंध में नीतिगत निर्णय लेने में आसानी हो सकेगी.
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