पटना : जन वितरण प्रणाली के दुकानदार गरीबों को अनाज नहीं दे रहे हैं. सरकारी अनाज को वापस सरकारी गोदाम में ही अनाज को पहुंचाने की कालाबाजारी चल रही है. इसके अलावा तीन तीन माह तक दुकानदार गरीबों को अनाज का वितरण नहीं कर रहे हैं. जिला प्रशासन की ओर से इसको लेकर कार्रवाई की गयी है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी निर्मल कुमार ने बताया कि जिले के कुल 68 दुकानों की जांच करायी गयी थी. इसमें 15 दुकानदारों को दोषी पाया गया है.
जिन पर कार्रवाई की अनुशंसा सभी अनुमंडल पदाधिकारियों से की गयी है. इन पर प्राथमिकी करने के साथ लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जायेगी. गौरतलब है कि जिले में जनवितरण दुकानदार राशन की कालाबाजारी करने से बाज नहीं नहीं आ रहे हैं. राशन दुकानदार जिला की ओर से खरीदे धान के सीएमआर (चावल) के रूप में ही लोगों के वितरण के लिए दी जाने वाले अनाज को जमा कराने का प्रयास कर रहे हैं. इसकी शिकायत डीएम तक पहुंच चुकी है.
समस्याओं के जाल में उलझी चार दशक पुरानी बाजार समिति
कृषक व्यवसायी महासंघ के बैनर तले अध्यक्ष अब्दुल मन्नान कुरैशी, सचिव, मो साबिर खान उर्फ भुट्टो खान व संगठन सचिव शशिकांत मेहता उर्फ पप्पू बताते हैं कि मंडी में लगभग 300 से अधिक दुकानें हैं. उपाध्यक्ष वरुण कुमार की मानें, तो केला मंडी में लगभग 50 दुकानें हैं, फल मंडी में 70 दुकानें हैं. इसी प्रकार मछली मंडी में भी 50 व आलू-प्याज की मंडी में 30 दुकानें हैं. इन दुकानों में ही कारोबार होता है.
लाइसेंस रहने के बाद भी इतनी ही संख्या में दुकानदार बाजार समिति के शेड में कारोबार करते हैं. इन लोगों के लिए भी नयी दुकान की आवश्यकता है, ताकि वे भी दुकान के अंदर कार्य कर सकें. फल मंडी में दो कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता भी व्यापारियों ने जतायी, जिसमें फलों के रखने के लिए अलग-अलग चैंबर बना हो, ताकि उचित तापमान पर फलों को रखा जा सके. चहारदीवारी नहीं होने व बरसात के समय जलजमाव की वजह से भी परेशानी होती है.
विकास की योजना कब उतरेगी धरातल पर : बाजार समिति परिसर के विकास के लिए 23 करोड़ 94 लाख रुपये की योजना
स्वीकृत है. कृषक व्यवसायी महासंघ के महासचिव आनंद रंजन रिंकू बताते हैं कि योजना की स्वीकृति मिले दो वर्ष हो गये हैं. इस योजना के तहत परिसर में चहारदीवारी का निर्माण, नाला और सड़क के निर्माण के साथ मिट्टी
व बालू भराई का काम होना है, लेकिन अब तक नहीं हो सका है. व्यापारियों ने बताया कि भवन निर्माण विभाग की ओर से कार्य कराया जाना है. इसके लिए स्वीकृत राशि की निकासी भी हो गयी है. अब तक कार्य नहीं हो पाया. अब तो बरसात आने वाली है. ऐसे में इस दफा भी कार्य नहीं हो पायेगा.
देश भर से आते हैं ट्रक : मंडी के व्यापारियों ने बताया कि फल, मछली व आलू-प्याज को लादकर मंडी में देश भर से ट्रक आते हैं. मंडी में हरियाणा, कश्मीर, नासिक, दक्षिण भारत के साथ देश के अन्य हिस्सों से ट्रक व्यापारिक वस्तुओं को लाद कर पहुंचते हैं. कारोबारियों का कहना है कि इंट्री गेट पर ही ट्रक के लिए वजन प्रणाली सिस्टम हो. दुकान में सामान रखने की जगह नहीं होने की स्थिति में लोड गाड़ी के पार्किंग की व्यवस्था की जाये, ताकि धूप व बरसात में वस्तुओं का नुकसान नहीं हो.
अतिक्रमण व जाम की भी समस्या बनी रहती
ला मंडी के पूर्व उपाध्यक्ष अजय कुमार मेहता व अवधेश कुमार कहते हैं कि बाजार समिति के मेन गेट से अंदर तक आम रास्ता होने के कारण जाम की स्थिति बनी रहती है. जबकि, मेन गेट से लेकर बाजार समिति का पूरा परिसर समिति की निजी जमीन पर है. ऐसे में आम रास्ता बन जाने की वजह से सुबह से लेकर शाम तक जाम की स्थिति रहती है.
व्यापारिक वस्तुओं को लेकर आये वाहनों को दुकानों तक पहुंचने में एक घंटे से भी अधिक का समय जाम की वजह से लग जाता है.
बैंक व सीसीटीवी कैमरेनहीं हैं मंडी के अंदर
डी के व्यापारियों ने बताया कि सुरक्षा की बात करें, तो बाजार समिति परिसर में बहादुरपुर थाना है. सुरक्षा प्रहरी के नाम पर छह सुरक्षा गार्ड हैं. वे रात को मंडी में भ्रमण करते हैं. मंडी में एक भी सीसीटीवी कैमरे नहीं है. मंडी में अधिकांश दुकानों की सुरक्षा मंडी के स्टाफ व मुंशी के हाथों में होती है. ऐसे में कारोबारी अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त नहीं दिखते है.
महासंघ ने सरकार से बैंक व डाकघर का पूरा सेटअप यार्ड में व्यवस्थित करने व पांच एटीएम मशीन लगाने तथा ट्रैवल व ट्रांसपोर्ट ऑफिस की व्यवस्था करने की मांग उठायी.
फायर सिस्टम की व्यवस्था नहीं
अब तक मुआवजा नहीं
डी में आग लगने की स्थिति में फायर सिस्टम की व्यवस्था भी नहीं है. व्यापारियों ने बताया कि अरसा पहले बाजार समिति कार्यालय के पास एक फायर यूनिट लगायी गयी थी. छोटी गाड़ी वाली यह यूनिट भी जर्जर होकर दम तोड़ चुकी है. हाल के दिनों में हुई अगलगी की घटना में दो दर्जन दुकानें जल कर नष्ट हो गयी थीं. इसके बाद अधिकारियों ने यहां पर 24 घंटे फायर यूनिट के तैनाती की बात कही थी, लेकिन यह भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है.इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट के बाद भी पीड़ित व्यापारियों को अब तक मुआवजा नहीं मिल सका है.
धुआं घर की हो व्यवस्था द.भारत से आता है केला
हासंघ के उपाध्यक्ष वरुण कुमार कहते हैं कि मंडी में कभी हाजीपुर से बैलगाड़ी से केला का घौद लादकर आता था, अब ट्रक से आता है. अब तो स्थिति यह है कि दक्षिण भारत से भी केला का घौद ट्रक से आता है. ऐसे में केला व अन्य फलों को पकाने के लिए धुआं घर की व्यवस्था होनी चाहिए. यहां फलों को पकाने के लिए केमिकल का उपयोग नहीं होता है. मंडी में जो धुआं घर है, उसकी जर्जर छत को दुरुस्त करने व नया धुआं घर बनाने की मांग की गयी.