मेडिकल कॉलेजों में अतिक्रमण पर हाइकोर्ट ने जतायी नाराजगी, कहा
पटना : पटना हाइकोर्ट ने गुरुवार को मेडिकल कॉलेज की जमीन से अतिक्रमण हटाने के मामले में अधिकारियों को खूब फटकार लगायी. न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा व पीके झा की खंडपीठ ने शुक्रवार को जिलाधिकारी को खुद जमीनों का दस्तावेज लाने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि यदि असली दस्तावेज कोर्ट को नहीं सौंपा गया, तो वह अधिकारियों के खिलाफ स्ट्रर पास करेंगे और सुप्रीम कोर्ट को बतायेंगे कि बिहार सरकार के अधिकारी काम नहीं करते. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस केस की मॉनीटरिंग कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी दी जायेगी कि बिहार सरकार के अधिकारी नाकाबिल हैं और सब-के-सब अतिक्रमणकारियों से मिले हुए हैं. इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को भी होगी. कोर्ट की नाराजगी अधिकारियों द्वारा असली दस्तावेज नहीं लाने पर थी. सुनवाई के दौरान उपस्थित अधिकारियों ने कोर्ट से कहा कि जमीन का असली दस्तावेज कार्यालय को नहीं मिल पा रहा है. इसलिए ऐसे दस्तावेज कोर्ट को नहीं सौंपे जा सकते. दरअसल, कोर्ट के समक्ष दिनेश कुमार उर्फ दिनेश मेहता ने याचिका दायर कर कहा था कि नालंदा मेडिकल कॉलेज परिसर के बीच उनकी निजी जमीन है. इस जमीन पर अतिक्रमण हटाने के आदेश को रोकने की उसने अनुमति मांगी थी. उसने कोर्ट के एक पूर्व के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अतिक्रमण हटाने के आदेश को पूर्व में एक मामले में स्टे मिल चुका है.
इस पर कोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए एनएमसीएच प्रशासन से जमीन के असली दस्तावेजों की मांग की थी, ताकि यह पता चल सके कि अस्पताल परिसर के बीच निजी जमीन कहां से आया. कोर्ट ने कहा कि वह पूर्व के स्टे की भी समीक्षा करेंगे. गौरतलब है कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों की जमीन पर अतिक्रमण हटाने को लेकर पटना उच्च न्यायालय कई बार आदेश दे चुका है.