1923 के आसपास इस सार्वजनिक स्थान को विकसित करने का काम हुआ था
पटना सिटी : शहर की हृदयस्थली मंगल तालाब में सौंदर्यीकरण का कार्य कराने व मनोज कमलिया स्टेडियम का निर्माण कराने की स्थिति में गांधी सरोवर पार्क का चमन सिमट कर रह गया है.
अतीत को याद करके पार्क की रखवाली करने वाले रामजी प्रसाद, शिक्षाविद विजय कुमार सिंह व बैंककर्मी जयप्रकाश मालाकार बताते हैं कि अंग्रेजों के समय में ही स्थापित पार्क के फव्वारा ऐसा था कि जिसकी छटा देखते ही बनती थी. वर्ष 2007 में जब स्टेडियम निर्माण के लिए यहां कार्य आरंभ हुआ तो फव्वारा को तोड़ने में भी काफी मशक्कत का सामना करना पड़ा था. आसपास में चमन के नाम से लोकप्रिय पार्क में इमली व जलेबी के पेड़ होते थे. लोग घूमते- फिरते थे. अब यह अतीत बन चुका है. गांधीपार्क के वजूद को बनाये रखने के लिए एक छोटी-सी गांधी जी की प्रतिमाछोड़ कर चारों तरफ स्टेडियम बना दिया गया है. जहां खिलाड़ियों का जमघट लगता है.
सुबह व शाम सैर को जुटती है भीड़
हृदय स्थली होने की वजह से सुबह व शाम को सैकड़ों की संख्या में महिलाएं, पुरुष व बच्चे सैर के लिए जुटते हैं, लेकिन पार्क नहीं रहने की स्थिति में सुबह की सैर को तालाब के चारों तरफ घूमते हैं. हालांकि, चारों तरफ पेड़ -पौधे तो लगे हैं, लेकिन वे भी सूख रहे हैं. ऐसे में हरियाली को तरसते लोगों के लिए यह पार्क अब अतीत का हिस्सा बन चुका है.
क्या कहना है लोगों का
अफसोस होता है कि क्रंकीट के जंगल में हरियाली का दम घुट गया. पहले प्रकृति के निकट घंटों लोग बैठा करते थे. हरी घास पर चला करते थे. अब ऐसा नहीं हो पाता है.
विजय कुमार सिंह
पार्क में रखवाली के िलए 25 की संख्या में निगम की ओर से कर्मियों की बहाली की गयी थी. उद्यान के समाप्त हो जाने से पार्क की खूबसूरती मिट गयी है.
रामजी प्रसाद
वर्ष 1923 में सार्वजनिक स्थान को विकसित करने का काम हुआ था, जिसमें हरियाली के साथ सभा स्थल होता था. गर्मी के समय लोग यहां आकर बैठते थे.
जयप्रकाश मालाकार
पार्क में हरियाली कायम रहे, इसके लिए वे प्रतिदिन शाम में गांधी पार्क के पास पेड़ों व फूल पौधों में पानी देने का काम करते हैं. कभी चमन के नाम से विख्यात यह पार्क चमन था.
सुनील सिंह राणा