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लोकसभा चुनाव में हार पर कांग्रेस में रार, सीट बंटवारे और प्रचार में रह गयी कमी: निखिल कुमार

मिथिलेश, पटना :बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन से दुखी हैं. पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेटे और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार को उनकी परंपरागत सीट औरंगाबाद से उम्मीदवार नहीं बनाया गया. इसके बाद भी उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया. हार […]

मिथिलेश, पटना :बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार लोकसभा चुनाव में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन से दुखी हैं. पूर्व सीएम सत्येंद्र नारायण सिन्हा के बेटे और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार को उनकी परंपरागत सीट औरंगाबाद से उम्मीदवार नहीं बनाया गया. इसके बाद भी उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में प्रचार किया. हार के कारणों की वह प्रदेश स्तर पर समीक्षा चाहते हैं. इस संदर्भ में उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा को समीक्षा बैठक बुलाने का अनुरोध किया है. निखिल कुमार ने इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष को पत्र भी लिखा है.

प्रभात खबर से खास बातचीत में निखिल कुमार ने कहा कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे, टिकट बांटने और प्रचार अभियान में कमी रही. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगले साल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले अपने दम पर लड़ना चाहिए. इसके लिए वह पार्टी के भीतर मुहिम चलायेंगे. उनका कहना है कि कांग्रेस में इतना जनाधार है कि वह विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ सकती है.
अकेले दम पर विधानसभा का चुनाव लड़े कांग्रेस : निखिल कुमार
निखिल कुमार ने कहा िक प्रदेश कांग्रेस के कार्य करने के तरीके को लेकर भी वह आलाकामन से चर्चा करेंगे. यह पूछे जाने पर कि टिकट बांटने में पार्टी के तपे तपाये नेताओं की उपेक्षा की गयी और नये लोगों को मैदान में उतारा गया. निखिल कुमार ने कहा, मुझे उम्मीदवार नहीं बनाया गया, इसलिए इस मामले में मैं कुछ भी नहीं कहूंगा, लोग कहेंगे अपने बारे में बोल रहा है.
हार के कारणों की समीक्षा बैठक को जरूरी बताते हुए पूर्व राज्यपाल ने कहा कि फरवरी में हुई कांग्रेस की रैली में उमड़ी भीड़ के बाद पार्टी की ताकत बढ़ी थी, इसके बावजूद किन कारणों से कांग्रेस को कम सीटें दी गयीं, जो भी सीटें दी गयीं उस पर उचित लोगों काे टिकट नहीं मिलना, टिकट मिलने के बाद सही तरीके से प्रचार नहीं किया जाना और सबों को साथ लेकर चलने वाली कांग्रेस को कम वोट आने की भी चर्चा होगी. उन्होंने कहा िक हम इससे बेहतर ढ़ंग से प्रचार कर सकते थे. बेहतर प्रचार होता तो जनता के साथ और अच्छे तरीके से रिश्ता कायम हो सकता था, लेकिन इसमें चूक हुई है.
नरेंद्र मोदी की प्रचार क्षमता से लोगों में भ्रम फैला
पूर्व राज्यपाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारक रहे हैं, उनकी प्रचार क्षमता से लोगों में भ्रम फैला. लोग 2014 में उनके द्वारा किये गये वादे को भूल गये और पुलवामा अटैक के बाद एयर स्ट्राइक को याद रखा. खुद नरेंद्र मोदी ने लोगों की भावना को भुनाया. उन्होंने कहा कि राजनीति में हार-जीत तो लगी रहती है, जीतने वालों को उनकी ओर से बधाई, पर हार-जीत का इतना बड़ा मार्जिन कुछ अटपटा सा लगाता है.
उनका कहना था कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बड़े नेता हैं, उन्होंने इस बार तीन सौ के पार का नारा दिया था. यह उनका बड़बोलापन था या कोई पूर्व ज्ञान, यह देश की जनता जानना चाहती है. लोगों को सही जवाब मिलना चाहिए. निखिल कुमार ने कहा िक वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करते हैं कि उनकी सरकार केंद्र में खाली पड़ी 22 लाख रिक्तियों को तत्काल भरे और किसानों की समस्या के समाधान का उपाय करे.
महागठबंधन की हार की वजह राजद नेतृत्व : प्रो उमा कांत
लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद महागठबंधन में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता प्रो उमा कांत सिंह ने कहा कि महागठबंधन में हार की वजह राजद नेतृत्व रहा है. राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह व शिवानंद तिवारी का कांग्रेस पर आरोप लगाना निराधार है. राजद को यह बताना चाहिए कि क्या कांग्रेस के कारण राजद के दरभंगा से प्रत्याशी अब्दुल बारी सिद्दीकी को अपने ही विधानसभा क्षेत्र अलीनगर, चंद्रिका राय को परसा और शिवचंद्र राम को राजापाकर में एनडीए प्रत्याशी से कम वोट मिले.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राम उपदेश सिंह ने कहा कि निखिल कुमार जैसे नेता को लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाकर पार्टी ने अपने पैर में कुल्हाड़ी मारी है. औरंगाबाद से आये रामविलास सिंह, श्याम बिहारी सिंह, सुनील सिंह, बक्सर से आयी प्रतिभा सिंह, देव के अनिरुद्ध सिंह, कुटुंबा के उमेश प्रसाद सिंह आदि नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने निखिल कुमार को टिकट नहीं दिया. इसका कुप्रभाव बिहार के साथ-साथ झारखंड में भी दिखा.
जनता ने परिवारवाद को खारिज नहीं किया है : शिवानंद
राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि जनता ने परिवार की राजनीति को खारिज नहीं किया है. अगर ऐसा होता तो रामविलास पासवान का परिवार थोक भाव में चुनाव कैसे जीत जाता. ओिड़शा में नवीन पटनायक ने पांचवीं बार मुख्यमंत्री बन कर रिकॉर्ड बनाया है. तमिलनाडु में स्वर्गीय करुणानिधि के पुत्र स्टालिन लोकसभा की आधी से अधिक सीट जीत गये. आंध्र प्रदेश में तो राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन रेड्डी की आंधी ने चंद्रबाबू नायडू को हवा में उड़ा दिया.
इस चुनाव ने परिवारवाद की राजनीति को खारिज कर दिया है, यह कहना तथ्य के बिलकुल विपरीत है. ऐसा शोर सत्ताधारी दल के लोग मचा रहे हैं. नरेंद्र मोदी यही शोर राहुल गांधी के खिलाफ मचा रहे हैं और ऐसा ही शोर बिहार में तेजस्वी के विरुद्ध मचाया जा रहा है. भविष्य में चुनौती इन्हीं से मिल सकती है इसलिए उस संभावित चुनौती को समाप्त करने के लिए सोची समझी रणनीति की तरह यह शोर मचाया जा रहा है.

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