25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आग लगी तो सब कुछ हो जायेगा खाक

पटना : सूरत के एक कॉमर्शियल कॉम्लेक्स में हुए भीषण अग्निकांड में आधा दर्जन से अधिक छात्रों की मौत शहर में संचालित कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्सों के लिए खतरे की घंटी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें से अधिकांश कॉम्प्लेक्स जुगाड़ तकनीक के भरोसे हैं. उनके अग्नि सुरक्षा उपायों की समीक्षा समय-समय पर नहीं होने से अग्निकांड की […]

पटना : सूरत के एक कॉमर्शियल कॉम्लेक्स में हुए भीषण अग्निकांड में आधा दर्जन से अधिक छात्रों की मौत शहर में संचालित कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्सों के लिए खतरे की घंटी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें से अधिकांश कॉम्प्लेक्स जुगाड़ तकनीक के भरोसे हैं. उनके अग्नि सुरक्षा उपायों की समीक्षा समय-समय पर नहीं होने से अग्निकांड की स्थिति में हमेशा जान-माल की क्षति का खतरा बना रहता है. अग्निशमन विभाग के अधिकारी ही दबी जुबान से स्वीकार करते हैं कि शहर के कई शॉपिंग कॉम्प्लेक्स एनओसी लेने के बावजूद नियमों का पालन नहीं करते.

पुराने उपकरणों के भरोसे अग्नि सुरक्षा
मौर्यालोक सहित कई निजी शॉपिंग कॉम्प्लेक्सों की अग्नि सुरक्षा पुराने उपकरणों के भरोसे हैं. ऐसे कॉम्प्लेक्सों की संख्या बहुत कम है, जिन्होंने अग्निशमन विभाग से एनओसी लिया और वहां फायर फाइटिंग सिस्टम उपलब्ध है. कइयों के उपकरण एक्सपायर हो चुके हैं, मगर उनको देखने वाला कोई नहीं. फायर एक्ट के तहत अग्नि सुरक्षा मानक को पालन करवाने के लिए प्रशासन की भी सक्रियता नहीं दिखती. ऐसे में अगलगी की घटना होने पर गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है.
उपकरण संचालन को प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं
अग्निशमन विभाग की जांच में यह सामने आया है कि इन कॉम्प्लेक्सों में उपकरण संचालन को लेकर प्रशिक्षित कर्मचारी ही नहीं है. इसलिए घटना होने की स्थिति में उपकरण रहते हुए भी उनका उपयोग नहीं हो पाता.
अग्निशमन या एनडीआरएफ की टीम मॉक ड्रिल में जिन कर्मचारियों को ट्रेनिंग देती है, छह महीने बाद ही उनकी जगह नये चेहरे दिखने लगते हैं. बेसमेंट में पार्किंग की जगह दुकान या कबाड़ भरा होता है, जबकि आपदा की स्थिति के लिए बनायी गयी सीढ़ियों व दरवाजों को सुरक्षा के नाम पर बंद कर दिया गया है.
बचाव को लेकर आंतरिक रिहर्सल भी नहीं होता
अगलगी के मामलों में आग जलने से कम, भगदड़ से अधिक नुकसान होता है. सूरत के कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स के मामले में भी यही स्थिति देखी गयी, जहां पर आग से बचने के लिए लोग आपात सीढ़ियों का इस्तेमाल करने की बजाय बिल्डिंग से कूदते दिखे. एनडीआरएफ मॉक ड्रिल टीम के सदस्य बताते हैं कि कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में फ्लोरोसेंस साइनेज (चमकीले चिह्न) की प्रोपर मार्किंग नहीं होती.
यह चिह्न आपदा की स्थिति में अंधेरे में बाहर निकलने का रास्ता बताती है. इन कॉम्पलेक्सों में अग्निकांड से बचाव को लेकर आंतरिक रिहर्सल भी नहीं होती, जो कि कम से कम हर एक-दो माह पर होने चाहिए. आपातकालीन नंबरों की सूची सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा नहीं होती. अग्निशमन उपकरण का समय-समय पर जांच के संचालन का अभ्यास भी जरूरी है.
दो साल पहले बोरिंग रोड में हादसा
दो साल पहले बोरिंग रोड चौराहा पर जीवी मॉल कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में भीषण अग्निकांड हुआ था, जिसमें कई दुकानें जल गयीं. अग्निशमन की जांच में सामने आया था कि इसके अग्निसुरक्षा उपकरणों में कई खामियां थी, इस वजह से नुकसान बढ़ गया.
वहीं, मौर्यालोक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में लगा फायर हाइड्रेंट की स्थिति को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने महीनों से इसे खोल कर देखा तक नहीं गया. इस पर इतनी पान की पीक थूकी हुई है कि कोई व्यक्ति छूना तो दूर देखने से भी परहेज करता है.
फिलहाल कार्रवाई का अधिकार नहीं
अग्निशमन विभाग द्वारा कॉम्प्लेक्स या भवन निर्माण के लिए एनओसी तो दिया जाता है, लेकिन उस एनओसी के तहत मापदंड का पालन नहीं करने पर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है. फायर रूल्स एक्ट 2014 का गठन हो चुका है. लेकिन, उसका नियमावली नहीं बनी है, जिसके कारण कार्रवाई नहीं हो पा रही. समय-समय पर इन भवनों का निरीक्षण कर उनको अग्नि सुरक्षा उपायों के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये जाते हैं.
पंकज कुमार, स्टेट फायर ऑफिसर.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें