पटना : केंद्र सरकार ने एक निर्णय के तहत पनबिजली की बड़ी परियोजनाओं को रिन्यूबल एनर्जी में शामिल कर लिया है. नये प्रावधानों के प्रभाव से पनबिजली के टैरिफ रेट में कमी आयेगी और यह सस्ती होगी. साथ ही बड़ी पनबिजली परियोजनाओं (एलएचपी) की समयसीमा 40 साल तक हो सकेगी. वहीं इस संबंध में लिये गये ऋण को चुकाने की अवधि को 18 साल तक बढ़ाया गया है. साथ ही दो प्रतिशत के बढ़ते टैरिफ को लागू करने के बाद इसे कम करने की अनुमति दी जायेगी. इसका फायदा बिहार को भी मिलेगा. यहां भी बड़ी पनबिजली परियोजनाओं पर काम हो सकेगा.
सूत्रों का कहना है कि अब तक 25 मेगावाट तक की पनबिजली परियोजनाएं हीं रिन्यूबल एनर्जी में शामिल थीं. इन परियोजनाओं की स्थापना के लिए राज्य सरकार ही निर्णय लेने सक्षम थीं. इन परियोजनाओं को विशेष सहायता दी जाती थी. वहीं इससे बड़ी परियोजनाओं की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से अनुमति अनिवार्य था. इन्हें किसी तरह की सहायता नहीं मिलती थी.
मिलेगी सरकारी सहायता
अब बड़ी परियोजनाओं को रिन्यूबल एनर्जी में शामिल होने से इन्हें सरकार से सहायता मिल सकेगी. इसके तहत 200 मेगावाट तक की परियोजनाओं के लिए 1.5 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट और 200 मेगावाट से ऊपर की परियोजनाओं के लिए एक करोड़ रुपये प्रति मेगावाट के मदद की मंजूरी दी गयी है. इस समय पनबिजली का टैरिफ अन्य स्रोतों की तुलना में महंगा है. इन उपायों से जल विद्युत परियोजनाओं द्वारा टैरिफ को तर्कसंगत बनाने में मदद मिलेगी. साथ ही ये रिन्यूबल परचेज ऑब्लिगेशन के तहत बिजली कंपनियों को रिन्यूबल ऊर्जा प्रमाणपत्र बेच सकेंगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
बिहार राज्य जल विद्युत निगम के एमडी आलोक कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले से राज्य में बड़ी जल विद्युत परियोजनाअों को प्रोत्साहन मिलेगा. उनकी स्थापना की जा सकेगी.