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‘राम–जन्मभूमि’ पर बिहार के राज्यपाल ने कहा, अंततः न्यायपालिका जन–भावनाओं का सम्मान करेगी

पटना : बिहार की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध रही है. इस पर हमें गौरवान्वित होना चाहिए. स्वाभिमान हमें राष्ट्रप्रेम से जोड़ता है और हम अपने देश और प्रदेश के नवनिर्माण के लिए संकल्पित होते हैं. युवा पीढ़ी भी इसी गौरव–बोध से प्रेरित होकर भारत और बिहार के नवनिर्माण के लिए तत्पर होगी. उक्त […]

पटना : बिहार की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध रही है. इस पर हमें गौरवान्वित होना चाहिए. स्वाभिमान हमें राष्ट्रप्रेम से जोड़ता है और हम अपने देश और प्रदेश के नवनिर्माण के लिए संकल्पित होते हैं. युवा पीढ़ी भी इसी गौरव–बोध से प्रेरित होकर भारत और बिहार के नवनिर्माण के लिए तत्पर होगी. उक्त बातें, राज्यपाल लाल जी टंडन ने स्थानीय होटल मौर्या में आयोजित एक कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा. राज्यपाल ने कहा कि अपनी जड़ों से जुड़े रहकर ही समुचित अवसर उपलब्ध होने पर विकास के सपने को साकार किया जा सकता है. किसी मीडिया द्वारा समाज के कल्याण के लिए संचालित कार्यक्रमों की उपलब्धियों को मूल्यांकित किया जाना एक सार्थक और अनूठी पहल है.

राज्यपाल ने कहा कि केवल नकारात्मक नजरिये से न तो देश और समाज का नवनिर्माण हो सकता है और न ही विकास की प्रक्रिया तेज हो सकती है. उन्होंने कहा कि आज केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभ समाज के अभिवंचित और कमजोर वर्गों तक सीधे पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे ‘प्रोटोकॉल’ के निवर्हन में पूरा विश्वास रखते हैं लेकिन सच्चाई को कबूलने से भी परहेज नहीं करते. ‘प्रोटोकॉल’ की जकड़नों में उनका विश्वास नहीं है. राज्यपाल ने कहा कि कल मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को फोन कर बिहार के सुदूरवर्ती क्षेत्र में गरीबों और वंचितों के घर तक बिजली–कनेक्शन पहुंचाने के काम को निर्धारित समय-सीमा के पूर्व पूरा हो जाने पर, उन्हें बधाई दी है. राज्यपाल ने कहा कि जो वर्षों से अंधेरों में रह रहे हैं, उनके घर-आंगन तक इस बार की ‘दीपावली’ के पहले ही उजाला फैलाकर सरकार ने अगर कीर्तिमान रचा है, तो निश्चित रूप से उसकी प्रशंसा होनी चाहिए.

राज्यपाल टंडन ने कहा कि एक समय था, जब ‘बिहार जैसे राज्यों को ‘बीमारू’ राज्यों की श्रेणी में रखा गया था. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की पहल से शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल एवं स्वच्छता, आधारभूत संरचना, कृषि, उद्योग, सेवाएं और समृद्धि आदि की दृष्टि से राज्य में आज काफी तेजी से प्रगति हो रही है. राज्यपाल ने कहा कि सामाजिक कल्याण एवं विकास–कार्यों का वास्तविक मूल्यांकन कर सार्थक मुद्दों को उठाना मीडिया का दायित्व है. राज्यपाल ने कहा कि बिहार राज्य चंद्रगुप्त और चाणक्य की धरती रहा है. कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ के सिद्धांतों की आज भी पूरी दुनिया में प्रासंगिकता है. उन्होंने कहा कि ‘सर्जरी विज्ञान के जनक’ माने जाने वाले आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत की भी पूरी दुनिया में प्रसिद्धि है.

राज्यपाल ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा क्षेत्र में भी विकास-प्रयासों को गति दी गयी है. विश्वविद्यालयीय अधिकारियों को स्पष्ट संदेश दिये गये हैं कि ‘बेहतर काम करना होगा अन्यथा छोड़कर जाना होगा.’ परिणामत: स्थिति में तेजी से सुधार दिखने लगे हैं. राज्यपाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में ‘इन्द्रधनुषी क्रांति’ लाने तथा कला एवं संस्कृति व पर्यटन से जुड़े स्थलों के विकास हेतु तत्परता से प्रयास चल रहे हैं. राज्यपाल ने कहा कि केंद्र एवं बिहार सरकार बेहतर ढंग से काम कर रही है. राज्यपाल ने ‘आयुष्मान योजना’, ‘सौभाग्य योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’, ‘सात निश्चय योजना’ आदि का उल्लेख करते हुए कहा कि इनसे गरीबों का भरपूर कल्याण हो रहा है. उन्होंने कहा कि लघु उद्योगों के लिए 59 मिनट के भीतर एक करोड़ रुपये तक की ऋण–राशि ऑनलाइन स्वीकृत करने का केंद्र का निर्णय राज्यों में औद्योगिक विकास एवं आर्थिक सशक्तीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.

राज्यपाल ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में सबकी सहभागिता होनी चाहिए. ‘मीडिया’ की भूमिका भी समीक्षक के साथ–साथ सहयोगी की भी है. विसंगतियों पर निंदा होनी चाहिए. लेकिन उपलब्धियों की प्रशंसा भी भरपूर होनी चाहिए. इसके काम करनेवालों का उत्साह बढ़ता है और वे अनुप्रेरित होते हैं. एक सवाल के जवाब में राज्यपाल ने कहा कि उनकी किताब ‘अनकहा लखनऊ’ लखनऊ की वास्तविक सांस्कृतिक पहचान को सबके सामने लाती है. उन्होंने पूरी बेबाकी से कहा कि लखनऊ सिर्फ नवाब और कबाब का शहर कभी नहीं रहा है. प्राचीन अवध प्रान्त के एक हिस्से के रूप में इसकी अनूठी सांस्कृतिक पहचान रही है. एक दूसरे सवाल के जवाब में राज्यपाल ने ‘राम–जन्मभूमि’ के मुद्दे पर कहा कि भारतीय न्यायपालिका ने भारतीय जनतंत्र को काफी मजबूती प्रदान कर विश्व में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अन्तत: जन–भावनाओं का सम्मान होगा.

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