पटना : एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर दूसरों के खातों से एक करोड़ से अधिक रुपये निकालने वाले अंतरराज्जीय गिरोह के तार देश के तमाम राज्यों से जुड़े है. यह गिरोह बिहार के साथ ही अन्य राज्यों में जालसाजी कर चुका है. खास बात यह है कि फरार दीपक इस गिरोह के सदस्यों को क्लोन […]
पटना : एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर दूसरों के खातों से एक करोड़ से अधिक रुपये निकालने वाले अंतरराज्जीय गिरोह के तार देश के तमाम राज्यों से जुड़े है. यह गिरोह बिहार के साथ ही अन्य राज्यों में जालसाजी कर चुका है. खास बात यह है कि फरार दीपक इस गिरोह के सदस्यों को क्लोन किया हुआ कार्ड उपलब्ध कराता था.
पकड़े गये शातिरों में राजू कुमार, हर्षित राज व अमित कुमार को पुलिस ने बुधवार को जेल भेज दिया. हालांकि, इन तीनों को फिर से रिमांड पर लिया जायेगा. इनके बैंक अकाउंट को भी पुलिस खंगालेगी. गांधी मैदान पुलिस को इन लोगों के पास से बरामद लैपटॉप से कई अहम जानकारियां हासिल हुई है. लैपटॉप में कई लोगों की एटीएम कार्ड की डिटेल के साथ ही फोटो व अन्य दस्तावेज मौजूद हैं. पुलिस को इस मामले में अब दीपक की तलाश है. खास बात यह है कि इस गिरोह का संपर्क झारखंड़ के जामताड़ा गिरोह से है.
कैसे करते थे एटीएम फ्रॉड का खेल
गिरोह के सदस्यों से पुलिस को काफी अहम जानकारियां हाथ लगी है. जानकारी के अनुसार एटीएम फ्रॉड करने वाले गिरोह के सदस्य
मैगनेटिक चिप की मदद से एटीएम का ब्लू प्रिंट लेते हैं. इसके बाद कार्ड का क्लोन तैयार कर रुपये निकाल लेते थे. एटीएम का क्लोन तैयार करने वाले सदस्य सुनसान इलाकों की एटीएम में
आने वाले लोगों को अपना निशाना बनाते थे.
इसके लिए एटीएम के कार्ड स्वैपिंग स्लॉट पर
एक विशेष मैगनेटिक डिवाइस लगा दी जाती है. चिप के आकार की यह डिवाइस एटीएम कार्ड के बार कोड और चिप की सारी इन्फॉर्मेशन की कापी
कर लेती है. इस डिवाइस में कार्ड का ब्लूप्रिंट
तैयार हो जाता है. इसके अलावा एटीएम पैड को सीपीयू और कार्ड रीडर से जोड़ कर भी एटीएम की क्लोनिंग की जाती है. इसके बाद विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से एटीएम का क्लोन तैयार कर लिया जाता है.