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पटना : टैक्स संग्रह में आयी करीब 45 फीसदी की गिरावट, 35 फीसदी व्यापारी अब भी नहीं दे रहे टैक्स

जीएसटी लागू होने के एक साल बाद भी हो रही लापरवाही पटना : राज्य में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू होने के एक साल बाद भी करीब 35 फीसदी व्यापारी ऐसे हैं, जो टैक्स जमा नहीं करते हैं. यहां निबंधित व्यापारियों की संख्या 3.66 लाख है, जिसमें करीब सवा लाख व्यापारी टैक्स अब भी […]

जीएसटी लागू होने के एक साल बाद भी हो रही लापरवाही
पटना : राज्य में जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू होने के एक साल बाद भी करीब 35 फीसदी व्यापारी ऐसे हैं, जो टैक्स जमा नहीं करते हैं.
यहां निबंधित व्यापारियों की संख्या 3.66 लाख है, जिसमें करीब सवा लाख व्यापारी टैक्स अब भी जमा नहीं कर रहे हैं. इसमें कुछ व्यापारियों ने शुरुआती कुछ महीने में टैक्स दिये थे, लेकिन बाद में जमा करना ही छोड़ दिया है. जबकि, कुछ ने तो इसके शुरू होने के बाद से ही एक बार भी टैक्स नहीं जमा किया है. राज्य में ऐसे सभी व्यापारियों को केंद्रीय जीएसटी विभाग ने तीन बार नोटिस तक जारी कर चुका है.
बावजूद इसके अब तक कई ने इस मामले में कोई पहल नहीं की है. अब केंद्रीय जीएसटी विभाग और राज्य के वाणिज्य कर विभाग ने अपने-अपने स्तर से छापेमारी की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पूरे राज्य में सर्च और सर्वे की व्यापक स्तर पर करने के लिए कई चरण पर टीमों का गठन कर लिया गया है. पिछले दो-तीन सप्ताह के दौरान आधा दर्जन बड़े व्यापारियों पर छापेमारी भी हो चुकी है.
आने वाले समय में इस सिलसिला में तेजी से बढ़ोतरी होने की संभावना है. व्यापारियों के टैक्स जमा नहीं करने का सीधा असर राजस्व संग्रह पर पड़ रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 की तुलना में चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में टैक्स संग्रह में करीब 45 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है. राजस्व संग्रह में वाणिज्य कर की भूमिका सबसे ज्यादाहोने की वजह से इसके कारण पूरा टैक्स कलेक्शन ही प्रभावित हो रहा है.
टैक्स जमा नहीं करने वाले व्यापारियों को
तीन बार नोटिस तक भेज चुका है केंद्रीय जीएसटी विभाग
टैक्स से संबंधित कई तरह की गड़बड़ियां आ रहीं सामने
जीएसटी में गड़बड़ी से संबंधित कई तरह की बातें सामने आ रही हैं. कई व्यापारियों ने शुरुआत के कुछ महीनों तक टैक्स जमा किये थे, लेकिन बाद में इसे जमा करना छोड़ दिया. टैक्स के रुपये को उन्होंने अपने व्यापार में लगा रखा है. कई ने यह देखा कि कार्रवाई नहीं हो रही है, तो उन्होंने जीएसटी में टैक्स जमा करना मुनासिब नहीं समझ रहे हैं.
कुछ व्यापारियों को यह भी लग रहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद अलग से रिटर्न दायर करने की कोई जरूरत नहीं है. सामानों के साथ ही टैक्स की कटौती हो जाती है. जांच में यह भी देखने को मिला कि कई लोग ग्राहक से टैक्स ले लेते हैं और गलत बिल बनाकर टैक्स जमा नहीं करते हैं. जबकि, जीएसटी लागू होने के बाद किसी तरह की गड़बड़ी पकड़ा बेहद आसान हो गया है.
नये निबंधित व्यापारी टैक्स देने में हैं पीछे
राज्य में जीएसटी लागू होने के बाद एक लाख से ज्यादा नये व्यापारियों ने निबंधन कराया है, लेकिन रिटर्न फाइल करने में अधिकतर व्यापारी लापरवाही बरत रहे हैं. वर्तमान में निबंधित व्यापारियों की संख्या पूरे राज्य में तीन लाख 66 हजार है. इसमें 92 फीसदी व्यापारी छोटी पूंजी वाले व्यापारी हैं. इनका कोई फॉर्म या कंपनी नहीं है. स्वयं अपने नाम पर ही व्यवसाय करते हैं. इसमें कुछ व्यापारियों ने अपना व्यापार काफी फैला लिया है, फिर भी वे टैक्स देने में रुचि नहीं ले रहे हैं. ऐसे व्यापारियों की स्कैनिंग अलग से की जा रही है.
इसके अलावा बिहार में चार फीसदी उत्पादनकर्ता या किसी कंपनी वाले हैं. 47 फीसदी रीटेलर और 28 फीसदी होल सेलर हैं. रीटेलर और होल सेलर के स्तर पर टैक्स जमा करने में सबसे ज्यादा समस्या देखी जा रही है. राज्य में 10 फीसदी निबंधित ठेकेदारी फॉर्म या सिंगल ठेकेदार हैं. इनके स्तर पर भी जीएसटी में बड़े स्तर पर गड़बड़ी की जाती है. इनकी जांच अलग से चल रही है. राज्य में महज तीन फीसदी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हैं.

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