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बिहार केपांच लाख संविदाकर्मियों का नियमितीकरण लटका

उद्योग, कृषि, राजस्व और स्वास्थ्य विभाग ने बरती िढलाई पटना : प्रदेश के पांच लाख से अधिक संविदाकर्मियों की खुशी पर कुछ सरकारी विभाग ग्रहण लगा रहे हैं. संविदाकर्मियों को नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर सुविधाएं देने में ये विभाग लेटलतीफी का कारण बन रहे हैं. सात अगस्त को उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अपनी […]

उद्योग, कृषि, राजस्व और स्वास्थ्य विभाग ने बरती िढलाई

पटना : प्रदेश के पांच लाख से अधिक संविदाकर्मियों की खुशी पर कुछ सरकारी विभाग ग्रहण लगा रहे हैं. संविदाकर्मियों को नियमित कर्मचारियों की तर्ज पर सुविधाएं देने में ये विभाग लेटलतीफी का कारण बन रहे हैं. सात अगस्त को उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. अब तक इस मामले में सरकार नियमितीकरण को लेकर काफी आगे बढ़ गयी होती. परंतु उद्योग, कृषि, राजस्व व स्वास्थ्य विभाग ने अपने-अपने यहां संविदा पर कार्यरत कर्मचारियों का पूरा ब्योरा नहीं भेजा. ऐसे में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट में कुछ संविदाकर्मी शामिल नहीं हो पाये. मुख्यमंत्री ने छूटे हुए कर्मचारियों का ब्योरा शामिल करते हुए रिपोर्ट मांगी है. जाहिर है, जो विलंब नहीं होना चाहिए था, वह हो रहा है. इसमें न तो उच्चस्तरीय समिति का कोई दोष है और न ही संविदाकर्मियों का. वहीं उम्मीद है कि समिति एक माह के अंदर ब्योरा जुटाकर अपनी िरपोर्ट दे देगी.
19 मई, 2015 को लिखा था सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र : सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी ने सभी विभागों के प्रधान सचिवों व सचिवों को 19 मई 2015 को पत्र लिखा था. सामान्य प्रशासन विभाग ने उच्च स्तरीय समिति को संविदा पर
पांच लाख संविदाकर्मियों…
नियोजित कर्मचारियों से संबंधित तमाम जानकारियां मांगी थीं. 20 बिंदुओं पर सभी विभागों से जानकारी मांगी गयी थी. इसमें सभी विभागों ने पूरी जानकारी दे दी. परंतु उद्योग विभाग ने इंडस्ट्रियल कॉरपोरेशन, कृषि विभाग ने जल छाजन, राजस्व विभाग ने भूदान यज्ञ कमेटी और स्वास्थ्य विभाग ने संविदा पर तैनात नर्सों का ब्योरा नहीं दिया था.
छूटे हुए विभागों से तलब किया जा रहा ब्योरा
सूत्रों ने बताया कि उच्च स्तरीय समिति की ओर से उद्योग, कृषि, स्वास्थ्य व राजस्व विभाग से ब्योरा मांगा जा रहा है. उम्मीद है जल्दी ही इसकी रिपोर्ट सौंप दी जायेगी. संबंधित विभागों के अधिकारियों ने भी इसकी तैयारी शुरू कर दी है. समय से अगर इन विभागों ने ब्योरा दे दिया होता तो नियमितीकरण में लेटलतीफी भी नहीं होती. उधर, पांच लाख से अधिक संविदाकर्मियों की टकटकी सरकार पर लगी हुई है. सालों की उनकी तपस्या का फल मिलने वाला है. सचिवालय से लेकर अन्य कार्यालयों में संविदाकर्मी पल-पल की सूचना जुटाते रहते हैं. उनके मन में तमाम अाशंकाएं भी उठ रही हैं. बावजूद इसके, आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि संविदाकर्मियों को नुकसान नहीं होने दिया जायेगा.
सरकारी सेवकों की तर्ज पर करेंगे काम :
संविदाकर्मियों को सरकारी सेवकों की तर्ज पर ही लाभ देने की सिफारिश की गयी है. ऐसे कर्मियों के नियत वेतन में बेसिक सैलरी और एचआरए समेत तमाम भत्तों का उल्लेख होगा जो उनको दिया जाना है. स्थायी सरकारी कर्मियों की तरह संविदाकर्मियों को भी अवकाश का लाभ मिलेगा. चार साल में एक बार एलटीए भी मिलेगा. कैजुअल लीव (सीएल) और अर्न लीव (ईएल) की का भी लाभ ले सकेंगे. महिलाओं को प्रेग्नेंसी के लिए पांच महीने की छुट्टी मिलेगी. पुरुषों को भी पिता बनने पर पितृत्व अवकाश मिलेगा.
एक माह के अंदर ब्योरा जुटाकर समिति दे देगी िरपोर्ट
इन संविदाकर्मियों को मिलेगा लाभ
उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों का लाभ सभी संविदाकर्मियों को मिलेगा. समिति की सकारात्मक सिफारिश से सीधे तौर पर आईटी ऑपरेटर, जीविका, मनरेगा, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी, भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी, डाटा इंट्री ऑपरेटर, चालक, कॉन्ट्रैक्ट लेक्चरर, व्यवसाय अनुदेशक, आईटी मैनेजर, ग्राम कचहरी सचिव, पंचायत तकनीकी सहायक, आशुलिपिक, अमीन, आयुष चिकित्सक, सहायक इंजीनियर, सांख्यिकी अन्वेषक, गार्डेन सुपरवाइजर, सामुदायिक कार्यकर्ता, लेखा सहायक, प्रोग्रामर, आईटी ब्वॉयज, ऑफिस एग्जीक्यूटिव
इन संविदाकर्मियों को…
सांख्यिकी स्वयंसेवक, मोहर्रिर, पंचायत रोजगार सेवक, प्रयोगशाला सहायक आदि लाखों कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. जानकारों की मानें तो सभी विभागों और जिलों में सरकारी कर्मियों के रिक्त स्थायी पदों पर संविदा पर काम कर रहे कर्मियों से ही समझौता किया जायेगा. हटाने की वही प्रक्रिया होगी, जो स्थायी सरकारी कर्मचारियों के लिए निर्धारित है.
संविदाकर्मियों की बदल जायेगी किस्म
वर्ष 2015 में गठित उच्च स्तरीय समिति अपनी की रिपोर्ट के मुताबिक संविदा कर्मियों के साथ राज्य सरकार स्थायी समझौता करेगी. इसके बाद ऐसे कर्मचारियों की नौकरी 60 साल तक चलती रहेगी. हर साल संविदा बढ़ाने की औपचारिकता भी खत्म हो जायेगी. इसके अलावा, बात-बात पर वेतन रोकने से लेकर अन्य तरह की आशंकाओं से भी कर्मचारियों को मुक्ति मिलेगी. संविदाकर्मियों के नियमतीकरण के लिए पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी थी. इस कमेटी ने संविदाकर्मियों के हक में सिफारिशें की हैं.
मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सात अगस्त को मुख्यमंत्री को सौंप दी. बाद में सीएम नीतीश कुमार को पता चला कि कुछ विभागों के यहां से पूरी जानकारी नहीं मिली थी. कुछ संविदाकर्मी छूट गये हैं. सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि उच्च स्तरीय समिति को और समय दिया जायेगा. परंतु छूटे हुए कर्मचारियों को भी शामिल कर लिया जाये. जो रह जायेगा, उसका काम लटक जायेगा. इसलिए किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होना चाहिए.
सुविधाएं
60 साल की उम्र तक नौकरी पक्की
प्रशिक्षण में भेजे जाने पर सरकारी कर्मचारियों की तरह मिलेगा खर्च
मेडिकल की सुविधा दी जायेगी
यात्रा और घर का भत्ता भी दिया जायेगा
बेसिक सैलरी के हिसाब से महंगाई भत्ता दिया जायेगा
ईपीएफ खाते में पैसे जमा किये जायेंगे
वर्ष 2015 में बनायी गयी थी आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति
राज्य सरकार ने संविदाकर्मियों के नियमतीकरण को लेकर वर्ष 2015 में उच्चस्तरीय आठ सदस्यीय समिति बनायी थी. इसके अध्यक्ष पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी को बनाया गया था. इसमें सदस्य के रूप में वित्त विभाग, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पथ निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, विधि विभाग के प्रधान सचिवों को रखा गया था. सामान्य प्रशासन के प्रधान सचिव समिति में सदस्य-सचिव के रूप में हैं.

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