पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के साथ हुई हैवानियत के बाद पूरी मशीनरी में खलबली मची हुई है. अधिकारी अब किसी भी स्तर से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए समाज कल्याण विभाग भी अलर्ट हुआ है. खुलासा तो यह भी हुआ है कि कर्मचारियों को पूरा […]
पटना : मुजफ्फरपुर बालिका गृह में बच्चियों के साथ हुई हैवानियत के बाद पूरी मशीनरी में खलबली मची हुई है. अधिकारी अब किसी भी स्तर से कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए समाज कल्याण विभाग भी अलर्ट हुआ है. खुलासा तो यह भी हुआ है कि कर्मचारियों को पूरा पैसा तक एनजीओ संचालक नहीं देते हैं.
इसी के बाद समाज कल्याण विभाग ने प्रदेश में संचालित सभी एनजीओ को ‘एस्क्रो’ एकाउंट खोलने के निर्देश दिये हैं. ताकि भुगतान पर सीधे सरकार की नजर रहे. तमाम गृहों में मूलभूत सुविधाओं तक का टोटा है. स्वच्छ पेयजल से लेकर रहने तक की जगह ठीक नहीं पायी गयी है. इसके अलावा इन गृहों के बच्चों से घर तक का काम कराने का मामला सामने आया है. उधर, एनजीओ के स्तर से बरती जा रही लापरवाही को ठीक करने के लिए टिस और यूनिसेफ मिलकर एटीआर बना रहे हैं. इसी के आधार पर संबंधित सभी एनजीओ की रैंकिंग तो होगी ही, कमियां भी दूर होंगी. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की रिपोर्ट ने बिहार में बरती जा रही लापरवाही की पोल खोलकर रख दी है. इसी रिपोर्ट के बाद मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में चल रहे घिनौने खेल का पर्दाफाश हुआ था.
अब भुगतान पर रहेगी सरकार की नजर
समाज कल्याण विभाग ने पिछले साल ही अपने स्तर से सभी गृहों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की योजना बनायी थी. सरकारी खरीद को लेकर जेम पोर्टल की बाध्यता इसमें आड़े आ गयी. समाज कल्याण विभाग के एक प्रमुख अधिकारी ने बताया कि जेम पोर्टल से खरीदारी में कुछ व्यावहारिक दिक्कतें हैं. इस कारण सीसीटीवी नहीं लग सका. महाराष्ट्र की तर्ज पर यहां भी खरीदारी का नया रास्ता निकाला गया है. जल्दी ही सभी गृहों में सीसीटीवी कैमरा लगाया जायेगा.
टिस की रिपोर्ट के बाद चेती सरकार : टिस की रिपोर्ट के बाद बिहार सरकार चेत गयी है. इसलिए समाज कल्याण विभाग का फोकस अब सुधार पर ज्यादा है. शेल्टर होम में सुधार संबंधी तमाम बिंदुओं पर काम शुरू हो गया है. टिस की रिपोर्ट के बाद विभाग ने मुजफ्फरपुर कांड के आरोपित ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ सेवा संकल्प को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है. मोतिहारी और छपरा के शेल्टर होम के संचालक एनजीओ को भी काली सूची में डाली गयी है. शेष 11 शेल्टर होम सरकार के नियंत्रण में संचालित हो रहे हैं. विभागीय स्तर पर संबंधित कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा चुकी है.