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60 एकड़ में फैला 23 फुट ऊंचा कचरे का पहाड़

प्रभात रंजन फाइलों में दौड़ रही है रिसाइकलिंग प्लांट लगाने की योजना पटना : शहर से आठ किलोमीटर दूर स्थित कचरे के डंपिंग ग्राउंड में करीब 44 लाख मीट्रिक टन कचरा भरा पड़ा है. साठ एकड़ भूखंड में जहरीले कचरे की ऊंचाई 15-23 फुट है. इसकी अधिकतम ऊंचाई दो मंजिली इमारत के बराबर है. सहज […]

प्रभात रंजन
फाइलों में दौड़ रही है रिसाइकलिंग प्लांट लगाने की योजना
पटना : शहर से आठ किलोमीटर दूर स्थित कचरे के डंपिंग ग्राउंड में करीब 44 लाख मीट्रिक टन कचरा भरा पड़ा है. साठ एकड़ भूखंड में जहरीले कचरे की ऊंचाई 15-23 फुट है. इसकी अधिकतम ऊंचाई दो मंजिली इमारत के बराबर है.
सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कचरे का यह मैदान किस तरह पर्यावरण के लिए खतरा बनता जा रहा है. जहरीले कचरे का दुष्प्रभाव न केवल आसपास की आबादी बल्कि हजारों एकड़ की उर्वर भूमि पर भी पड़ रहा है. इसके चार-पांच किलोमीटर के दायरे में मारे दुर्गंध के जीना मुश्किल है.
वर्ष 2008 से अब तक प्रतिदिन 700 से 1400 टन कचरा डंपिंग यार्ड में गिराया जा रहा हैअाधिकारिक जानकारी के मुताबिक रामाचक बैरिया में निगम का 72 एकड़ भूखंड है. इस भूखंड को निगम प्रशासन ने कूड़ा डंपिग यार्ड बनाया है. कूड़ा डंपिंग यार्ड रिसाइकलिंग प्लांट लगाया जाना था. फिलहाल 72 एकड़ भूखंड में से 60 एकड़ भूखंड पर कचरे का जहरीला पहाड़ फैला है. रिसाइकलिंग प्लांट लगाने की योजना फाइलों में दौड़ रही है.
स्पेशल फैक्ट
वर्ष 2008 से अब तक रोजाना 1000 से 1500 टन कचरा किया जा रहा है डंप
कचरे की रिसाइकलिंग प्लांट नहीं होने से भयावह होता जा रहा डंपिंग ग्राउंड
जमीन से 15 से 23 फुट ऊंचा हो गया है कचरे की ढेर
15 से 23 फुट ऊंचा हो गया है कचरा
डंपिंग यार्ड में पिछले 10 वर्षों से रोजाना शहर से निकलने वाले कचरे को डंप किया जा रहा है. वर्तमान में 22 हाइवा, 15 कॉम्पेक्टर और पांच छोटे हाइवा के सहारे 1405 से 1450 टन कचरा रोजाना डंप किया जा रहा है. यह काम लगातार 10 वर्षों से चल रहा है. औसतन करीब 1200 टन कचरा रोजाना गिराया गया है. अब तक यहां कुल 43 लाख 80 हजार टन कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है. इसकी 15 से 23 फुट तक ऊंचा हो गया है.
अभी भी प्लांट लगने में लगेगा एक से डेढ़ साल : निगम प्रशासन ने डंपिंग यार्ड में एनर्जी प्लांट लगाने की योजना बनायी है. इस योजना की स्वीकृति स्थायी समिति की बैठक में मिल चुकी है. योजना की स्वीकृति मिलते ही नगर आयुक्त अनुपम कुमार सुमन ने एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू करते हुए टेंडर निकाल दिया है और अगले दो-ढाई माह में एजेंसी चयन कर ली जायेगी. हालांकि, एजेंसी का चयन भी हो जायेगा, तो प्लांट लगाने में एक से डेढ़ साल का समय लगेगा.
क्या हो रहे हैं दुष्प्रभाव
यहां वर्षों से सड़ रहे कचरे की बदबू दूर-दूर तक फैल रही है. इससे लोगों को गुजरने में भी परेशानी होती है.
बरसात में और आंधियों में यह कचरा हजारों हेक्टेयर में पसर जाता है. इससे मिट्टी की उर्वरता खतरे में पड़ जाती है.
डंपिंग यार्ड के आस-पास खेतिहर जमीन पर बड़ी मात्रा में सब्जी की खेती होती है. किसान बताते हैं कि टमाटर देखने पर काफी लाल और सुंदर दिखते हैं, लेकिन खाने में तीखे होते हैं. यही स्थिति भिंडी और अन्य सब्जियों के साथ है.
24 घंटे लगी रहती है कचरे में आग
वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर डेढ़ वर्ष पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इस बैठक में निगम प्रशासन को सख्त निर्देश दिया गया था कि कचरे में कहीं आग नहीं लगाना है.
यही नहीं कहा था कि अगर कोई कचरे में आग लगाता है, तो कठोर कार्रवाई करनी है. लेकिन, मुख्य सचिव का निर्देश कागजों में ही दब कर रह गया है. स्थिति यह है कि डंपिंग यार्ड में 24 घंटे कचरे में आग लगी रहती है और धुआं उठता रहता है. यह धुआं भी वातावरण को प्रदूषित कर रहा है.
खर्च करने के बावजूद नहीं लगा प्लांट
कचरा डंपिंग यार्ड के आस-पास रहने वाले परेशान लोगों ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस केस की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने विभाग व निगम प्रशासन को फटकार लगाते हुए सख्त निर्देश दिया कि रिसाइकलिंग प्लांट लगाये.
इस निर्देश के आलोक में नगर आवास विकास विभाग आनन-फानन में प्लांट लगाने की जिम्मेदारी बुडको को दे दी. बुडको ने वर्ष 2014 में एजेंसी भी चयनित की. 18 महीने में इस प्रोजेक्ट को पूरा करना था. दिलचस्प बात यह रही कि चयनित एजेंसी प्लांट लगाने के बदले सिर्फ कचरे की लेवलिंग करती रही.
दो वर्षों में निगम से प्लांट लगाने वाली एजेंसी ने करोड़ों रुपये भी ले लिये. जबकि प्रोजेक्ट पर एक कदम आगे नहीं बढ़ी. अब विभागीय निर्देश पर एजेंसी को टर्मिनेट कर दिया गया है और दूसरी एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू की गयी है.

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