पटना: सूबे में गंगा व उसकी सहायक नदियों में डॉल्फिन की गिनती राज्य सरकार पहली बार नवंबर में कराने जा रही है. भारत सरकार के राष्ट्रीय गंगा मिशन के तहत यह काम होनेवाला है. डॉल्फिन को राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया जा चुका है. देश में गंगा, ब्रह्नापुत्र व उनकी सहायक नदियों में पायी जानेवाली डॉल्फिन की करीब आधी संख्या बिहार में ही होने का अनुमान है.
गणना के लिए वन एवं पर्यावरण विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है. इसमें कॉलेज छात्रों को भी ट्रेनिंग देकर लगाने का विचार है. बिहार की नदियों में डॉल्फिन की संख्या का कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. हालांकि, डॉल्फिन मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर पटना विवि के प्रोफेसर डॉ आरके सिन्हा की किताब ‘द गैंगेटिक डॉल्फिन’ में बिहार में गंगा डॉल्फिन की अनुमानित संख्या 1214 बतायी गयी है.
सोन में अधिक की उम्मीद
प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीए खान ने बताया कि नवंबर के दूसरे सप्ताह में गिनती होने की संभावना है. पहली बार वन एवं पर्यावरण विभाग गिनती कराने जा रहा है. इसके पहले कुछ अन्य संस्थाओं ने डॉल्फिन का सर्वे किया है. इससे मुख्य रूप से गंगा की मुख्य धारा में डॉल्फिन की स्थिति की जानकारी मिल सकी थी. राज्य में यूपी की सीमा से लेकर पश्चिम बंगाल की सीमा तक गंगा में डॉल्फिन की गिनती नवंबर में होगी. इससे गंडक, कोसी, महानंदा, सोन, कमला जैसी गंगा की सहायक नदियों में भी डॉल्फिन की मौजूदगी और उसकी संख्या का पता लगेगा. खान ने बताया कि सोन में डॉल्फिन की मौजूदगी की उम्मीद सबसे ज्यादा है. पूरे भारत में डॉल्फिन की गिनती इस योजना के तहत होनेवाली है.
इस तरह होती है गिनती
जीपीएस से लैस बोट पर चार-पांच प्रशिक्षित लोग तैनात होते हैं. डॉल्फिन हर दो मिनट पर सांस लेने के लिए उछल कर पानी से बाहर आती है. इस दौरान नदी में घूम रही नाव पर तैनात लोग उनकी गिनती करते जाते हैं. नदी में नाव आगे बढ़ती जाती है और डॉल्फिन को देख कर उसकी गिनती होती है. नदी की डॉल्फिन का वजन समुद्री डॉल्फिन के मुकाबले ज्यादा होता है. इससे वह समुद्री डॉल्फिन जितना ऊंचा नहीं उछल पाती है.