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पटना : बदले पैटर्न से हर हाल में छात्रों को मिलेगा फायदा

नीट और जेईई साल में दो बार लेने के फैसले से छात्रों में खुशी पटना : नीट व जेईई साल में दो बार लेने के सरकार के निर्णय पर एक्सपर्ट चाहे जितनी भी अटकलें लगा लें, लेकिन जो जेइइ, नीट या नेट की तैयारी कर रहे छात्र इस बदलाव से काफी खुश हैं. उनका मानना […]

नीट और जेईई साल में दो बार लेने के फैसले से छात्रों में खुशी
पटना : नीट व जेईई साल में दो बार लेने के सरकार के निर्णय पर एक्सपर्ट चाहे जितनी भी अटकलें लगा लें, लेकिन जो जेइइ, नीट या नेट की तैयारी कर रहे छात्र इस बदलाव से काफी खुश हैं.
उनका मानना है कि छात्रों को इससे हर हाल में फायदा ही होगा. ऐसे छात्र जो इंप्रुवमेंट देना चाहते हैं,उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा. सबसे अच्छी बात है कि जिस एग्जाम में अधिक मार्क्स आयेंगे वही मान्य होंगे. यह छात्रों के हित में लिया गया निर्णय है. हालांकि इससे गैर शहरी छात्रों को दिक्कत आ सकती है, क्योंकि उन्हें ऑन लाइन प्रैक्टिस या स्टडी करने में शुरुआती दौर में काफी दिक्कत आयेगी. इससे उनकी सफलता दर में शुरुआती दौर में कमी आ सकती है.
ऑनलाइन से ग्रामीण छात्रों को होगी दिक्कत
छात्र यूं तो ऑनलाइन परीक्षा के स्वागत के लिए तैयार हैं. हां, थोड़ा सशंकित जरूर हैं क्योंकि अब तक इसकी तैयारी नहीं थी. नीट की तैयारी कर रहे पटना सिटी के छात्र पवन कहते हैं खासकर ग्रामीण छात्रों को इससे दिक्कत होगी ऐसी बात जरूर आ रही है. उधर आईआईटी के पूर्व छात्र पंकज कपाड़ियां कहते हैं कि इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जेईई में करीब 70 हजार छात्र मेंस के बाद भी जेइइ एडवांस के ऑनलाइन टेस्ट में शामिल नहीं हुए थे.
गोवाहाटी जोन जिसमें बिहार के छात्र आते हैं, वहां रिजल्ट बहुत ही खराब है. इसी प्रकार पूरे देश में ग्रामीण छात्रों पर मार पड़ी है. हां, अगर ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों के लिए इसकी कोई सुविधा सरकार के द्वारा उपलब्ध की जाये जिससे की वे प्रैक्टिस करें तो इससे इन पर प्रभाव कम पड़ेगा.
जेईई एडवांस पर कोई असर नहीं पड़ेगा
पूर्व आईआईटीयंस व शिक्षक पंकज कपाड़िया कहते हैं कि जेइइ एडवांस का जिम्मा आईआईटी के पास ही रहेगा इसलिए एडवांस पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. साल में दो बार जो परीक्षाएं होंगी उसमें बेस्ट मार्क्स जिसमें होंगे वह मान्य होगा और एडवांस में वह काम आयेगा. ऐसे ही नीट में भी होगा.
नेट एक बार होने से निराशा
नेट साल में एक बार किये जाने से नेट के छात्रों में निराशा है. मास कॉम से नेट की परीक्षा देने वाले गौरव कहते हैं कि जब दो बार नेट की परीक्षा होती थी तो छात्रों के पास अधिक मौके होते थे. लेकिन अब एक ही मौका होगा.
पहले भी नेट की परीक्षा साल में एक बार की गयी थी तो छात्रों के विरोध के बाद दो बार किया गया लेकिन फिर एक बार करने का निर्णय समझ से परे है. इस संबंध में एक्सपर्ट एम रहमान कहते हैं कि छात्रों को दो बार मौके मिलने से एक अटेंप्ट में नहीं तो दूसरे में निकाल लेते थे. पहले अटेंप्ट में उन्हें अनुभव का लाभ दूसरे में मिलता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. दूसरा जो कारण है इसे करने का वह यह है कि नेट-जेआरएफ क्वालिफाइड छात्र बहुत हो चुके हैं लेकिन उतनी वेकेंसी अब सरकार के पास है नहीं. इसलिए इसे एक बार किया गया है.
कभी भी बदल सकते हैं अांसर
दूसरी ओर छात्रों का ही एक पक्ष यह भी कह रहा है कि यहां यह भी सवाल उठ रहा है कि जो छात्र आज के समय में डॉक्टर बनेंगे उन्हें कंप्यूटर या ऑनलाइन एग्जाम का बेसिक ज्ञान भी न हो यह भी उचित नहीं होगा.
छपरा के नीट की तैयारी करने वाले छात्र दीपक कुमार सिंह ने कहा कि ऑनलाइन से पेपर लीक की समस्या नहीं रहती. गोला बनाने में समय ज्यादा लगता है. यहां सिर्फ क्लिक करना होता है. इसी तरह मिस्टेक होने पर आप अंसर को बदल सकते हैं. पेज पलटने का झमेला नहीं है. यहां स्क्राॅल करना होता है. सिर्फ थोड़े प्रैक्टिस की जरूरत है.
अलग-अलग दिन एग्जाम होने से परीक्षा लेने में होगी सहूलियत
बिहार शरीफ के सुधांशु कुमार झा कहते हैं, पांच दिन परीक्षा होने से कोई खास परेशानी नहीं होगी. क्योंकि वैसे भी चार सेट में प्रश्न होते हैं. हां, प्रश्नों में थोड़े अंतर जरूर होंगे लेकिन वे सिलेबस से ही पूछे जाते हैं. अलग-अलग दिन परीक्षा होने से परीक्षा भी आसानी होगी, भीड़ कम होगी. क्योंकि एक बार बड़ी संख्या में छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा होने से स्थिति खराब हो सकती है. इस तरह की परीक्षा के लिए छात्रों का कांसेंट्रेशन बहुत मायने रखता है.

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