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गैंगवार के बाद बिहार में शरण लेता था मुन्ना बजरंगी, बिहार-झारखंड में हत्या के लिए भेजता था शूटर

मुन्ना बजरंगी व उसके शूटरों की मदद लेते थे लोकल सरगना विजय सिंह पटना : यूपी-बिहार का अपराधी कनेक्शन किसी से छुपा नहीं है. वह भी पूर्वांचल के अपराधियों की बात हो तो यह गठजोड़ और भी मजबूत दिखता है. दोनों प्रदेशों के बड़े माफिया एक दूसरे के शूटराें की भरपूर मदद लेते हैं. सिर […]

मुन्ना बजरंगी व उसके शूटरों की मदद लेते थे लोकल सरगना
विजय सिंह
पटना : यूपी-बिहार का अपराधी कनेक्शन किसी से छुपा नहीं है. वह भी पूर्वांचल के अपराधियों की बात हो तो यह गठजोड़ और भी मजबूत दिखता है. दोनों प्रदेशों के बड़े माफिया एक दूसरे के शूटराें की भरपूर मदद लेते हैं.
सिर छुपाने की जगह भी देते रहे हैं. ऐसी ही कहानी पूर्वांचल के शॉर्प शूटर प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की है. अपराधी से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के लिए काम करने वाला मुन्ना पूर्वांचल का ऐसा शूटर रहा है, जिसने श्रीप्रकाश शुक्ला के बाद सबसे ज्यादा एके-47 जैसे स्वचालित असलहे का इस्तेमाल किया है. भाजपा विधायक कृष्णानंदन राय की हत्या के अलावा पूर्वांचल के कई गैंगवार में गोलियां बरसाने वाला मुन्ना फरारी के दिनों के लिए बिहार को चुनता था. बिहार में मोकामा, बेगूसराय, सीवान में अपना सिक्का चलाने वाले माफिया मुन्ना को शरण देते थे.
बिहार के माफिया शरण और असलहा दोनों कराते थे मुहैया
बिहार, झारखंड में हत्या के लिए मुन्ना बजरंगी भेजता था शूटर
धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की कर दी थी हत्या
तीन राज्यों के बड़े अपराधी रहते थे संपर्क में
मुन्ना बजरंगी का यूपी ही नहीं बल्कि बिहार और झारखंड से भी उसके तार जुड़े थे. तीनों स्टेट में किसी बड़े अपराधी या सफेदपोश को मारने के लिए लोकल अपराधी मुन्ना से मदद लेते थे. ऐसा ही हुआ था 21 मार्च 2017 को धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत तीन की हत्या में. इसमें नीरज सिंह के धूर विरोधी पंकज सिंह ने अहम भूमिका निभायी थी.
जेल में बंद पंकज के चचेरे भाई प्रदीप कुमार सिंह उर्फ दीपू के जरिये पंकज सिंह यूपी के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी के करीब आया था. भाजपा नेता सियाराम सिंह की हत्या में दीपू सिंह सुल्तानपुर के अमहट जेल में बंद था. 11 अप्रैल 2013 को मुन्ना को सुल्तानपुर जेल लाया गया था. वहीं दोनों में दोस्ती हुई. भाई दीपू सिंह ने पंकज सिंह की भी सेटिंग मुन्ना से करा दी थी. मुन्ना बजरंगी का नाम जुड़ने के बाद सुल्तानपुर खासकर लंभुआ में रंगदारी उद्योग में पंकज सिंह और उसके कुनबे का सिक्का चमक उठा था.
1980 के दशक में की पहली हत्या
90 के दशक में मुख्तार के गैंग में हुआ शामिल
यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में जन्म लेने वाला मुन्ना बजरंगी महज पांचवीं तक पढ़ाई की थी. मुन्ना ने पहली हत्या 17 साल की उम्र में की थी. इसके बाद उसने कभी मुड़ कर नहीं देखा. अपने माथे पर 40 हत्याओं का दाग लेने वाला मुन्ना बजरंगी उस समय सुर्खियों में आया जब उसने पूर्वांचल के माफिया मुख्तार अंसारी के यहां शरण ले लिया. मुन्ना मुख्तार के शूटर के रूप में काम करने लगा.
गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ और बनारस में कई हत्याओं को अंजाम देने के बाद मुन्ना ने अपना इतना कद बढ़ लिया था कि सरकारी टेंडर, व्यवसायियों से रंगदारी, सुपारी लेकर हत्या उसका शगल बन गया था.
लेकिन उसका असली चेहरा तब उभर कर सामने आया जब उसने मुख्तार के इशारे पर पूर्वांचल के सबसे बड़े गैंगवार की तैयारी की. उसने 2005 में भाजपा के मोहम्मदाबाद से विधायक कृष्णानंदन राय समेत छह लोगों की हत्या कर दी. मुन्ना का नाम बड़े शूटरों में शुमार हो गया. 2009 तक मुन्ना बजरंगी का जबरदस्त खौप रहा. लेकिन जब उसे इनकाउंटर का भय सताने लगा तो उसने कथित तौर पर सरेंडर कर दिया. उसे मुंबई से गिरफ्तार किया गया था. तभी से वह यूपी के जेल में था.
कई बार जेल के अंदर ही उसकी हत्या की साजिश रची गयी, लेकिन वह बच जाता था. एक बार तो जेल में जहर देने की कोशिश की गयी थी. हालांकि 9 जुलाई 2018 की सुबह यूपी के बागपत जेल के बैरक में उसकी जिंदगी का सूरज डूब गया.

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