31 मई तक फाइन, इसके बाद भी रजिस्ट्रेशन नहीं तो एफआईआर
बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगाने को रेरा सख्त
पटना : रियल इस्टेट प्रोजेक्टों में बिल्डरों की मनमानी को लेकर बिहार रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) सख्त हुआ है. रेरा ने 30 अप्रैल के बाद चालू प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराने वाले बिल्डरों पर एक लाख रुपये या रजिस्ट्रेशन शुल्क का सौ फीसदी जुर्माना लगाने का निर्णय लिया है. जुर्माने की यह व्यवस्था सिर्फ 31 मई 2018 तक ही होगी.
इस अवधि तक भी रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले बिल्डरों पर एफआईआर की जायेगी, जिसमें उनको तीन साल तक की सजा हो सकती है.
मिले 345 ऑनलाइन अावेदन, 15 प्रोजेक्ट ही रजिस्टर्ड : रेरा बिहार के अध्यक्ष अफजल अमानुल्लाह ने बताया कि चालू प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन को लेकर एक मई 2017 से ही अभियान चलाया जा रहा है.
बीते एक साल में छूट दिये जाने के बावजूद 30 अप्रैल 2018 तक महज 345 प्रोजेक्ट्स का ही ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन फाइल किया गया है. इसमें भी 181 की हार्ड कॉपी रेरा कार्यालय में जमा करायी गयी. अंतिम रूप से 15 प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड होगये हैं, जबकि 40 आवेदनों के मामले में अतिरिक्त जानकारी को लेकर पूछताछ की गयी है. अमानुल्लाह ने बताया कि 30 अप्रैल को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले को सात कार्य दिवस में हार्ड कॉपी जमा करा देनी होगी, अन्यथा उन पर भी जुर्माना लागू किया जायेगा.
प्लानिंग एरिया के बाहर के निर्माण आयेंगे दायरे में
अमानुल्लाह ने बताया कि रेरा ने प्लानिंग एरिया के बाहर हो रहे निर्माण को भी रेरा में अनिवार्य रूप से रजिस्टर्ड कराने को लेकर निर्णय लिया है. रेरा एक्ट के सेक्शन तीन के प्रोविज टू में इसको लेकर अधिकार प्राप्त है.
इस निर्णय के बाद पूरे बिहार में 500 स्क्वायर मीटर (लगभग चार कट्ठा) या आठ से अधिक फ्लैट निर्माण के किसी भी प्रोजेक्ट का रेरा में निबंधन अनिवार्य होगा. ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. रेरा ने नगर विकास विभाग से सभी निकायों में निर्माण को लेकर पास नक्शों की रिपोर्ट मांगी है, ताकि लापरवाही कर रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वाले बिल्डरों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जा सके. प्रेस काॅन्फ्रेंस में रेरा के सदस्य राजीव भूषण सिन्हा व सुबोध कुमार सहाय भी मौजूद थे.
30 जिलों से एक भी प्रोजेक्ट का आवेदन नहीं
रेरा अध्यक्ष ने बताया कि प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए बिहार के 38 में से 30 जिलों से एक भी आवेदन नहीं मिला है. 90 फीसदी आवेदन पटना जिले के हैं. शेष दस फीसदी में भागलपुर, गया, मुजफ्फरपुर व पूर्णिया शहर शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि चालू प्रोजेक्ट को रेरा में निबंधन से बचाने के लिए कुछ बिल्डर आधे-अधूरे निर्माण पर ही उसकी रजिस्ट्री करा ग्राहकों को ठग रहे हैं. इसको देखते हुए निबंधन विभाग के प्रधान सचिव व निबंधन आईजी को चिट्ठी लिख कर आग्रह किया गया है कि वे ऐसे अधूरे फ्लैट-अपार्टमेंट की रजिस्ट्री न करें, जिनका कंप्लीशन सर्टिफिकेट इश्यू न हुआ हो.