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खोपड़ी की सर्जरी कर लगेगी मशीन, ठीक हो जायेगा 70% तक कंपन रोग

पटना : बैठे-बैठे हाथ और उंगलियां हिलने लगे, कुछ भी सामान पकड़ने में परेशानी हो, शरीर में कंपन जैसी स्थिति हो जाये तो यह न्यूरोलॉजिकल सिस्टम का खतरनाक रोग कंपन (पार्किंसन) रोग हो सकता है. दुनिया में इस रोग से 10 मिलियन तो बिहार में एक हजार में तीन ऐसे मरीज हैं, जो इस रोग […]

पटना : बैठे-बैठे हाथ और उंगलियां हिलने लगे, कुछ भी सामान पकड़ने में परेशानी हो, शरीर में कंपन जैसी स्थिति हो जाये तो यह न्यूरोलॉजिकल सिस्टम का खतरनाक रोग कंपन (पार्किंसन) रोग हो सकता है. दुनिया में इस रोग से 10 मिलियन तो बिहार में एक हजार में तीन ऐसे मरीज हैं, जो इस रोग प्रभावित हैं. बुजुर्गों में यह रोग ज्यादा देखा जाता है. लेकिन अब इस रोग का इलाज ऑपरेशन से संभव हो गया है. डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) तकनीक से कंपन रोग का इलाज किया जा रहा है. यह निर्णय आईजीआईएमएस अस्पताल के न्यूरो वार्ड में लिया गया है.

क्या है कंपन रोग
आईजीआईएमएस के न्यूरो विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ने बताया कि न्यूरो विभाग में कपंन का इलाज आसान होगा. अब ऑपरेशन कर एक मशीन को खोपड़ी व सिर की खाल के बीच स्थापित किया जायेगा. इससे 50 से 70 प्रतिशत बीमारी से मरीज को निजात मिल सकती है. डॉ अशोक ने कहा कि इस रोग में सेंट्रल नर्वस सिस्टम में विकार पैदा हो जाता है, जिससे व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं. इस रोग में अक्सर झटके भी आते हैं. यह बीमारी मस्तिष्क कोशिकाओं की कमी से होती है. जो डोपोमाइन का उत्पादन करती हैं.
यानी जीन में बदलाव ही पार्किंसन का मुख्य कारण है. यह जीन एक प्रोटीन का उत्पादन करता है. डॉ अशोक ने कहा कि इस रोग में डोपोमाइन का उत्पादन करने वाले न्यूरॉन्स की संख्या घट जाती है. आमतौर पर यह बीमारी 50-55 साल से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होती है.
डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) तकनीक से कंपन रोग का इलाज संभव
आईजीआईएमएस के न्यूरो विभाग में सुविधा शुरू करने का लिया गया निर्णय
ये हैं कंपन रोग के लक्षण
हाथों में बिना हिलाये-डुलाये कंपकंपी, मांसपेशियों में कड़ापन, शरीर में अकड़न, बोलते समय आवाज धीमी होना या लड़खड़ाती जुबान में बोलना, शरीर झुक जाना, चेहरे से मुस्कराहट गायब हो जाना, शरीर के अन्य हिस्सों में भी हलचल की गति धीमी हो जाती है. इस बीमारी में मरीज का हाथ पैरों की कंपन पर कंट्रोल नहीं रह पाता.
कैसे करें बचाव
डॉ अशोक ने बताया कि इस न्यूरोलाॅजिकल सिस्टम के डिसआॅर्डर को ठीक करने के लिए दवाइयां तो हैं ही, साथ ही व्यायाम व कुछ खास एक्सरसाइज, थेरेपी व काउंसलिंग इस रोग को ठीक करने में भूमिका निभाती हैं. ऐसे मरीज को सपोर्ट व सहायता की जरूरत रहती है. यह बीमारी एमआरआई, सोनोग्राफी, पीईटी स्कैन आदि जांचों से भी पकड़ में नहीं आती. अगर कंपन अधिक है और दवा काम नहीं आ रही हैं तो डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन (डीबीएस) सिस्टम से ऑपरेशन कर इलाज किया जा सकता है.
ब्रेन में डालते हैं डीबीएस
दिल्ली के न्यूरो विशेषज्ञ डॉ
समशेर द्विवेदी ने बताया कि जिस तरह से हृदय में पेस मेकर डालते हैं, उसी तरह खोपड़ी का ऑपरेशन कर डीप ब्रेन स्टिम्युलेशन ब्रेन के अंदर एक विशेष हिस्से में डालते हैं. ऑपरेशन में करीब आठ घंटे का समय लगता है. ऑपरेशन के दौरान जिस जगह में डीबीएस डालते हैं उसको एसपीएन बोला जाता है. डीबीएस में बैटरी लगी होती है.
अगर मरीज रात को सोने जा रहा है तो बैटरी बंद कर दिया जाता है. इसके लिए एक रिमोट दी जाती है जो बैटरी से कनेक्टिव रहती है. बैटरी की लाइफलाइन सात साल तक होती है.

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