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बिहार : 538 में से 282 पुलिस सहायक अवर निरीक्षक को मिला एसीपी का लाभ

किसी को चरित्र अभियुक्ति ने दिया झटका, तो कोई सेवाभिलेख से अटका पटना : पुलिस का खौफ आम आदमी में यूं ही नहीं है. पुलिस अपनों को भी सताने से चूक नहीं रही है. सहायक अवर निरीक्षकों के लिए हुई एसीपी इसका ताजा उदाहरण है. 15 जून, 1982 को पुलिस में भर्ती हुए सहायक अवर […]

किसी को चरित्र अभियुक्ति ने दिया झटका, तो कोई सेवाभिलेख से अटका
पटना : पुलिस का खौफ आम आदमी में यूं ही नहीं है. पुलिस अपनों को भी सताने से चूक नहीं रही है. सहायक अवर निरीक्षकों के लिए हुई एसीपी इसका ताजा उदाहरण है.
15 जून, 1982 को पुलिस में भर्ती हुए सहायक अवर निरीक्षक धनंजय सिंह की मौत हो गयी, लेकिन उनको वृत्ति उन्नयन योजना का लाभ नहीं मिला. 21 अक्तूबर, 2010 को पीटीसी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. वह इंतजार करते-करते मर गये, लेकिन प्रोमोशन का लाभ नहीं मिल सका. वार्षिक गोपनीय चरित्र अभियुक्ति अप्राप्त होने के कारण केंद्रीय चयन पर्षद ने उनको अपात्र पाया है. केंद्रीय चयन पर्षद ने पुलिस सहायक अवर निरीक्षक के पद पर प्रोन्नति पुलिसकर्मियों को वृत्ति उन्नयन योजना के मामलों का निस्तारण कर दिया है.
इसमें क्षेत्रीय चयन समिति द्वारा 538 नामों में 282 को ही एसीपी के लाभ के लिये पात्र पाया गया है. 20 अप्रैल को जारी सूची में 538 में से जो 256 सहायक अवर निरीक्षक अपात्र घोषित किये गये हैं उनमें से करीब 200 को विभाग द्वारा दस्तावेजों पूर्ण नहीं रखने का खामियाजा भुगतना पड़ा है. सहायक पुलिस अवर निरीक्षक व समकक्ष कोटि के पदाधिकारियों को वृत्ति उन्नयन योजना का लाभ प्रदान करने के लिये क्षेत्रीय चयन समिति की अनुशंसा के बाद 29 जनवरी से दो फरवरी के बीच केंद्रीय चयन पर्षद की बैठक हुई थी.
वार्षिकी गोपनीय चरित्र अभियुक्ति ने रोकी तरक्की
पटना : लाला प्रसाद यादव का बेगूसराय में सहायक अवर निरीक्षक के पद पर पदस्थापन है. 26 जुलाई 2012 को पीटीसी परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. 14 अगस्त, 2013 से उनको समयबद्ध प्रोन्नति का लाभ मिलना था, लेकिन वार्षिकी गोपनीय चरित्र अभ्युक्ति पूर्ण नहीं होने के कारण उनका मामला अटका हुआ है. बेगूसराय में ही एएसआई जयशंकर यादव को भी गोपनीय चरित्र प्रमाण पत्र पूर्ण नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.
भाेजपुर के संजय कुमार नौकरी में पूरी जिंदगी खपा दी. प्रोमोशन के लाभ की बारी आयी तो विभाग ने उनकी संपुष्टि की तिथि तक दर्ज नहीं की.
रिटायरमेंट के बाद काट रहे पुलिस कार्यालयों के चक्कर : नालंदा के परमानंद शर्मा और अवधेश किशोर प्रसाद, बेतिया के लक्ष्मण सिंह ही नहीं विष्णु देव सिंह अपने सर्विस रिकाॅर्ड को पूरा कराने के लिये विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं.
परमानंद और अवधेश का हिंदी का परीक्षाफल ही अंकित नहीं किया गया है. इससे उनको प्रोमोशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है.वहीं, सारण निवासी तारकेश्वर तिवारी ने सहायक अवर निरीक्षक की वर्दी तो पहन ली लेकिन पद लाभ नहीं मिला.

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