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पटना : भ्रमण पर लगा ब्रेक, कैसे हो बच्चों का विकास

दो वर्षाें से नहीं मिली है स्कूलों में राशि पटना : मध्य विद्यालयों में बच्चों के विकास के लिए पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें पर्यटन स्थलों में घुमाने का भी प्रावधान है. पर बीते दो वर्षों से स्कूलों में बच्चों के घूमने-फिरने पर भी ब्रेक लग गया है. राशि के अभाव में स्कूल में बच्चों को […]

दो वर्षाें से नहीं मिली है स्कूलों में राशि
पटना : मध्य विद्यालयों में बच्चों के विकास के लिए पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें पर्यटन स्थलों में घुमाने का भी प्रावधान है. पर बीते दो वर्षों से स्कूलों में बच्चों के घूमने-फिरने पर भी ब्रेक लग गया है. राशि के अभाव में स्कूल में बच्चों को घुमाने का कार्यक्रम बंद है. स्कूलों की मानें, तो विभाग की ओर से समय पर पैसा नहीं मिलने से बच्चों को पर्यटन स्थलों पर नहीं ले जाया जा रहा है.
स्कूलों को दिये जाते हैं 20 हजार रुपये
भ्रमण कार्यक्रम योजना के तहत मध्य विद्यालयों में नामांकित कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को एेतिहासिक पर्यटन स्थलों पर ले जाना होता है. इसके लिए विभाग की ओर से प्रतिवर्ष 20 हजार रुपये भी दिये जाते हैं. पूर्व में यह राशि पांच हजार थी, फिर 10 और अब 20 हजार दी जाती है.
विभाग द्वारा राशि दिसंबर से जनवरी के बीच स्कूलों को भेज दी जाती है. दो महीने के अंदर राशि का उपयोग कर बच्चों को भ्रमण कराया जाना होता है. बीते सत्र 2016-17 और सत्र 2017-18 से भ्रमण राशि स्कूलों को नहीं मिल पायी है.
राशि देर से मिलने के कारण नहीं हो पाता उपयोग
योजना की राशि कभी भी समय पर नहीं मिल पाती है. ऐसे में जब भी राशि मिलती है. दो महीने के अंदर राशि खर्च करने की बाध्यता के कारण बच्चों को गर्मी में ही बाहर ले जाना पड़ता है. बच्चे दूर का सफर तय नहीं कर पाते हैं. इससे कई बार बच्चे बीमार भी पड़ जाते हैं. ऐसे में यदि राशि सही समय पर मिले, तो इसका लाभ बच्चों को अधिक हो पायेगा, पर योजना की राशि मार्च के बाद मिलने से इसका उपयाेग भी नहीं हो पाता है.
फंड के अभाव में बच्चों को घुमाने का कार्यक्रम बंद है. विभाग द्वारा राशि समय पर नहीं मिल पाने से इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. राशि इतनी कम होती है कि दूर के पर्यटन स्थल ले जाना संभव नहीं हो पाता है.
-नंद किशोर शर्मा, प्राचार्य बालक मध्य विद्यालय, गोलघर पार्क
बीते दो वर्षों से स्कूल में भ्रमण राशि नहीं मिल पायी है. बच्चों को प्रतिवर्ष इंतजार रहता है. वह छठी कक्षा में पहुंचने के बाद से ही घूमने का इंतजार करते हैं. बच्चे आठवीं में पहुंच चुके हैं और उन्हें भ्रमण नहीं कराया जा सका है.
-डॉ भोला पासवान, सचिव शिक्षक संघ

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