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अवमानना पर सुनवाई करेगा खंडपीठ

सिपाही बहाली मामले में अदालती आदेश का नहीं हुआ था पालन पटना : वर्ष 2009 के सिपाही बहाली मामले में अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर दायर अवमानना याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की खंडपीठ से कराने का अनुरोध मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट की एकलपीठ ने किया है. न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा की एकलपीठ ने […]

सिपाही बहाली मामले में अदालती आदेश का नहीं हुआ था पालन
पटना : वर्ष 2009 के सिपाही बहाली मामले में अदालती आदेश का पालन नहीं किये जाने पर दायर अवमानना याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की खंडपीठ से कराने का अनुरोध मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट की एकलपीठ ने किया है.
न्यायमूर्ति अंजना मिश्रा की एकलपीठ ने इस मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. इसके बाद एकलपीठ ने इसे खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया.
गौरतलब है कि वर्ष 2009 में सिपाही भर्ती प्रक्रिया में चयनित हुए 700 से अधिक अभ्यर्थियों की नियुक्ति अदालती आदेश के बाद भी नहीं किये जाने पर अदालती आदेश की अवमानना का मामला दायर किया गया था.
वर्ष 2014 में ही हाईकोर्ट की खंडपीठ ने उक्त चयनित अभ्यर्थियों को बहाल करने का आदेश राज्य सरकार को दिया था.
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ द्वारा दिये गये आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने भी हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा. सरकार की याचिका खारिज करने के बाद भी जब सिपाहियों की नियुक्ति नहीं की, तो हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की.
पटना. जीएसटी से संबंधित संविधान के 101वां संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अधिवक्ता अमित पांडे द्वारा जीएसटी की वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर सुनवाई करते हुये केंद्रीय वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) और जीएसटी काउंसिल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
याचिका में जीएसटी परिषद के गठन और जीएसटी को लागू करने के लिए संविधान के 101वां संशोधन कानून के उस अनुच्छेद की वैधानिकता को चुनौती दी गयी है, जिसके तहत जीएसटी परिषद का गठन हुआ है. याचिकाकर्ता द्वारा जीएसटी परिषद की शक्तियों को न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का आरोप लगाया है. साथ ही यह भी कहा गया कि केंद्र व राज्य के बीच कर-राजस्व बंटवारे में संविधान में जो संघीय ढांचा निहित है, उस पर जीएसटी परिषद के जरिये प्रहार किया जा रहा है.
अदालत को बताया गया कि जीएसटी परिषद का गठन जीएसटी कानून को लागू करने के लिए किया गया है, लेकिन इससे राज्यों की विधायिका और न्यायपालिका की शक्तियों में दखलअंदाजी हो रही है.

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