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पटना :थ्री नॉट थ्री की राइफल से दी जाती है फायरिंग की प्रैक्टिस

रखते हैं एके 47, इंसास व कारबाईन पटना : पटना जिला के जवान जिस अत्याधुनिक हथियार को अपने साथ रखते है, उससे कभी भी फायरिंग की प्रैक्टिस नहीं करायी जाती है. बल्कि थ्री नॉट थ्री ेकी राइफल से फायरिंग करा प्रैक्टिस का कोरम पूरा कर लिया जाता है. सूत्रों के अनुसार जवान फायरिंग प्रैक्टिस स्थल […]

रखते हैं एके 47, इंसास व कारबाईन
पटना : पटना जिला के जवान जिस अत्याधुनिक हथियार को अपने साथ रखते है, उससे कभी भी फायरिंग की प्रैक्टिस नहीं करायी जाती है.
बल्कि थ्री नॉट थ्री ेकी राइफल से फायरिंग करा प्रैक्टिस का कोरम पूरा कर लिया जाता है. सूत्रों के अनुसार जवान फायरिंग प्रैक्टिस स्थल पर अपने एके 47, इंसास, कारबाईन लेकर फायरिंग करने के लिए जाते हैं लेकिन उनके हथियार को रखवा दिया जाता है और थ्री नॉट थ्री की राइफल से फायरिंग करा कर वापस कर दिया जाता है.
यह केवल कहने के लिए हो जाता है कि समय-समय पर जवानों को फायरिंग कराने की प्रक्रिया पूरी की जाती है, एक जवान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसे कारबाईन मिली है, लेकिन उसने अपने कारबाईन से कभी भी फायरिंग नहीं की है. उसे जब भी प्रैक्टिस के लिए बुलाया जाता है, तो उसके हथियार को रखवा दिया जाता है अौर उसके हथियार के बजाय थ्री नॉट थ्री के राइफल से प्रैक्टिस
करायी जाती है. इसी प्रकार एक जवान को इंसास राइफल मिली है. यह राइफल उसे कई साल पहले ही मिला था, लेकिन उसने भी अपने राइफल से कभी फायरिंग की प्रैक्टिस नहीं की है.
समय-समय पर भी नहीं होती प्रैक्टिस : सूत्रों के अनुसार यह प्रैक्टिस समय-समय पर भी नहीं होती है. कभी छह माह पर तो कभी नौ माह पर और कभी तो एक साल हो जाते है. इस दौरान उन्हें एक विशेष जगह पर बुला कर फायरिंग की प्रैक्टिस का कोरम पूरा कर लिया जाता है.

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