18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बिहार : स्कूल में बेंच और डेस्क नहीं, फर्श पर बैठ पढ़तीं हैं छात्राएं

बिहटा : सूबे में शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु सरकार कई योजनाएं चला सुदूर देहात तहत शिक्षा की अलख जगाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसके बावजूद भी सरकारी शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों से कोसों दूर है. शिक्षण संस्थानों में जहां एक ओर विषयवार शिक्षक की कमी से पठन पाठन बाधित […]

बिहटा : सूबे में शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु सरकार कई योजनाएं चला सुदूर देहात तहत शिक्षा की अलख जगाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसके बावजूद भी सरकारी शिक्षण संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बच्चों से कोसों दूर है. शिक्षण संस्थानों में जहां एक ओर विषयवार शिक्षक की कमी से पठन पाठन बाधित है, वहीं दूसरी ओर कुछ शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राएं फर्श पर बैठ कर पठन-पाठन करने को विवश हैं.
यह दृश्य पुराने जमाने में चलने वाले गुरुकुल की यादें ताजा कर देता है. हालांकि, सरकारी शिक्षण संस्थानों में सरकार की ओर से डेस्क व हाई डेस्क के लिए योजना भी आवंटित की जाती है, लेकिन सूबे कुछ स्कूलों में आज भी जमीन पर बैठ कर बच्चे शिक्षा ग्रहण करने पर विवश हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण है बिहटा प्रखंड क्षेत्र में स्थित राघोपुर उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय.
यहां मात्र एक शिक्षक के सहारे वर्ग नौ व दस की 150 छात्राएं जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करने को विवश हैं. छात्राओं का कहना है कि फर्श पर बैठ कर पढ़ाई करने से कई समस्या उत्पन्न हो जाती है. सबसे ज्यादा परेशानी जाड़े के मौसम में होती है. साथ ही कपड़े गंदे हो जाते हैं. दो साल से स्कूल का नया भवन बना रहा है या यों कहें बन चुका है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण आज तक भवन स्कूल को सुपर्द नहीं किया गया है.
छात्राओं का कहना है कि हमलोग जब जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं, तो आसपास के मनचले युवक स्कूल के चहारदीवारी पर चढ़ कर फब्तियां कसते हैं. इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन से की थी, लेकिन मामला सिफर रहा. इतना ही नहीं स्कूल के बंद हो जाने के बाद असामाजिक तत्व दरवाजे पर अपशब्द लिख देते हैं.
प्राचार्य पूर्णेंदु कुमार शर्मा कहते हैं कि उत्क्रमित मध्य विद्यालय में दो साल पूर्व उच्च विद्यालय की स्वीकृति प्रदान की गयी थी. इसके बाद मात्र एक शिक्षक का बहाल किया गया.
विद्यालय के वर्ग नौ में 70 और वर्ग दस में 79 यानी कुल 149 छात्राएं नामांकित हैं. हर रोज उपस्थिति 125 के आसपास रहती है. स्कूल में बेंच-डेस्क नहीं है. छात्राएं ज्यादा होने के कारण नवम और दशम वर्ग की छात्राओं को दो कमरों में तिरपाल पर बैठाया जाता है. उनका कहना था कि शिक्षक को किसी कार्य से जाने पर विद्यालय को बंद करने की नौबत आ जाती है.
स्कूल की स्थिति काफी जर्जर है. विद्यालय की चहारदीवारी नीची होने के कारण ग्रामीण अपना घर समझ कर सामान व मवेशी तक रखते हैं. स्कूल बंद हो जाने के बाद असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होता है. दरवाजे की कुंडी तोड़ कर सामान गायब कर देते हैं. उन्होंने बताया कि इस संबंध में बार-बार शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया है, पर आज तक स्थिति यथावत है.
जल्द दूर हो जायेगी समस्या
इस संबंध में शिक्षा प्रसार पदाधिकारी मो अमीरुल्लाह ने बताया कि उच्च विद्यालय का नया भवन स्कूल के कैंपस में निर्माणाधीन है. 2016 में ही भवन को विद्यालय को सुपुर्द करना था, लेकिन ठेकेदार के द्वारा निर्माण कार्य में देरी होने के कारण अब तक भवन विद्यालय को नहीं सौपा गया है . वरीय अधिकारी के पास इस संबंध में और शिक्षक बहाली के लिए लिखा गया है. जल्द ही समस्या दूर हो जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें