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बिहार : स्वावलंबन के अवसर उपलब्ध कराये सरकार, राज्य भर में चले पिंक बसें
पटना : राज्य में शिक्षा समेत अन्य क्षेत्र में बेटियां नाम रोशन कर रही हैं. लेकिन राज्य में महिलाओं का समुचित उत्थान नहीं हो सका है. इसके लिए उनके स्वावलंबन से लेकर समानता का अधिकार तक की बात करनी होगी. नैतिक मूल्यों के दायरे में रहते हुए रूढ़ीवादी विचारों का त्याग करना होगा. महिलाओं को […]
पटना : राज्य में शिक्षा समेत अन्य क्षेत्र में बेटियां नाम रोशन कर रही हैं. लेकिन राज्य में महिलाओं का समुचित उत्थान नहीं हो सका है. इसके लिए उनके स्वावलंबन से लेकर समानता का अधिकार तक की बात करनी होगी.
नैतिक मूल्यों के दायरे में रहते हुए रूढ़ीवादी विचारों का त्याग करना होगा. महिलाओं को शिक्षित होना जरूरी है. कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन इसके साथ सरकार के स्तर से स्वावलंबन की व्यवस्था होनी चाहिए. जरूरत के अनुसार बाजार व संसाधन उपलब्ध कराये जाने चाहिए. सामाजिक संरचना में महिलाओं की दोयम दर्जे की स्थिति रही है.
इसे समाप्त करने की जरूरत है, सरकार भी महिलाओं को केवल मतदाता न समझे. महिलाओं के उत्थान के लिए स्वतंत्रता, निर्णय लेना का अधिकार, महिला उत्पीड़न पर अंकुश लगाने, सुरक्षा व संरक्षण देने, गर्ल्स स्कूल व कॉलेजों में पठन-पाठन पर विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत है.
चूंकि मातृत्व में ही विकास छुपा है, अत: माताओं को भी जागरूक होने की जरूरत है. यह मानना है विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं, गृहणी व छात्राओं का. उन्होंने सोमवार को ‘प्रभात खबर’ कार्यालय में ‘बिहार में महिलाओं के उत्थान के लिए क्या किया जाये’ विषयक परिचर्चा में शिरकत की.
वक्ताओं ने सामाजिक सोच में बदलाव की आवश्यकता पर भी बल दिया. समान काम के बदले समान वेतन की मांग की ही तर्ज पर महिलाओं को समानता का अधिकार, अमीर के सामान ही गरीब बच्चों के लिए भी पढ़ाई की व्यवस्था एक समान करने की जरूरत बतायी.
राज्य भर में चले पिंक बसें
वक्ताओं ने कहा कि राजधानी समेत राज्य भर में पिंक बसें चलायी जानी चाहिए. यानी ड्राइवर व कंडक्टर महिला ही हो. इससे महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को एक हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. महिलाएं हवाई जहाज उड़ा सकती हैं, तो रेल क्यों नहीं चला सकतीं. अत: रेलवे में लोको पायलट में भी महिलाओं को लाया जाना चाहिए. महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने की भी जरूरत है.
वक्ताओं ने कहा कि राज्य में सहयोगी तंत्र काम नहीं कर रहा है. शराबबंदी की मॉनेटरिंग नहीं हो रही है. महिला थाना व महिला आयोग में सक्रिय नहीं हैं. ऐसे में महिलाओं की सुरक्षा व संरक्षण की बात बेमानी है. इन तंत्रों को सक्रिय करना होगा. जीविका समूहों का वोट की राजनीति के तहत इस्तेमाल बंद करना होगा. तभी महिलाओं का उत्थान संभव है.
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