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10-15 प्रतिशत युवाओं पर गांधीजी के विचारों का प्रभाव हो गया, तो बदल जायेगा देश और समाज : नीतीश कुमार

पटना : बिहार विधान परिषद सभागार में रविवार को चंपारण एग्रेरियन बिल-1918 की शत वार्षिकी पर आयोजित संगोष्ठी का राज्यपाल सत्यपाल मलिक एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया. संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले विधान परिषद के सभापति को इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के […]

पटना : बिहार विधान परिषद सभागार में रविवार को चंपारण एग्रेरियन बिल-1918 की शत वार्षिकी पर आयोजित संगोष्ठी का राज्यपाल सत्यपाल मलिक एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया. संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले विधान परिषद के सभापति को इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई देता हूं. 10 अप्रैल, 2017 से बिहार में चंपारण शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है, इसके तहत सबसे पहले गांधीजी के विचारों पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के चिंतक, लेखक, एक्टिविस्टों ने हिस्सा लिया. इसके अलावा अनेक कार्यक्रम भी आयोजित किये गये.

गांधी संग्रहालय, पटना और 11 अप्रैल को मुजफ्फरपुर में कार्यक्रम आयोजित किया गया था. 12 अप्रैल, 2017 को गांधीजी पर आधारित फिल्म, संदेश एवं विचारों को प्रदर्शित करने के लिए हर टोले और बसावटों तक पहुंचाने के लिए मल्टीमीडिया गांधी रथ को रवाना किया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडित राज कुमार शुक्ल के लगातार प्रयास के बाद 10 अप्रैल को गांधीजी पटना आये और उसके बाद मुजफ्फरपुर होते हुए चंपारण पहुंचे. चंपारण पहुंच कर लोगों से मिले और इस दौरान उन्हें सरकारी आदेश पर चंपारण छोड़ने को कहा गया. गांधीजी ने कहा कि मैं अंतरात्मा की आवाज पर यहां के लोगों से मिलने आया हूं. मुझे जो सजा देनी है दीजिए.

गांधीजी द्वारा 100 रुपये के निजी मुचलके भरने में असर्मथता जताने पर मजिस्ट्रेट ने मुचलका खुद ही भर दिया. अंततोगत्वा मुकदमा वापस लिया गया और प्रशासन को गांधीजी का समर्थन करना पड़ा. नामी वकीलों ने गांधीजी का साथ देते हुए लोगों के बयान दर्ज करने में अपना सहयोग दिया. गांधीजी के प्रभाव से अंगरेजों के होश उड़ गये. पटना, मुजफ्फरपुर और चंपारण में एक नये तरह के वातावरण का निर्माण हुआ और इसके समाधान के लिए कमेटी बनानी पड़ी, जिसके गांधीजी भी सदस्य थे. आज ही के दिन 100 साल पहले 4 मार्च, 1917 को चंपारण एग्रेरियन बिल पारित हुआ था. मैंने गांधीजी से जुड़े हुए जगहों का भ्रमण किया है, जिसमें भितिहरवा आश्रम भी जाने का मौका मिला.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधीजी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए काम किया जा रहा है. राज्य के डेढ़ करोड़ परिवारों तक गांधीजी के विचारों का संक्षिप्त रूप पहुंचा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी के विचारों एवं कामों को नयी पीढ़ी के लोग जानें, यह बात जन-जन तक पहुंचे, इसके लिए कथा के रूप में लेखन करा कर उसका वाचन कराया जाये. अगर 10 से 15 प्रतिशत युवाओं पर गांधी जी के विचारों का प्रभाव हो गया, तो मैं समझता हूं कि यह देश और समाज बदल जायेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पटना में गांधी जी की स्मृति के रूप में एक पिलर का निर्माण किया जायेगा, जिसमें लोग जैसे-जैसे चक्कर काटते हुए ऊपर चढ़ते जायेंगे, गांधीजी से संबंधित सारी बातों को समझ जायेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज टेक्नोलॉजी का विकास हो गया है. लोग सोशल मीडिया पर सारी जानकारी जानना-समझना चाहते हैं. कोई जिज्ञासावश पढ़ना नहीं चाहता है. आज एक दूसरे से मोबाइल से संपर्क करने में जो वेब पैदा होता है, उसका दुष्प्रभाव निश्चित तौर पर पर्यावरण पर पड़ता होगा. आज जरूरत है गांधी जी के विचारों को गौर करने की. गांधी जी ने कहा था कि धरती आपकी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, लालच को नहीं. अपनी सुविधा, आराम के लिए कुदरत के साथ छेड़छाड़ का दुष्प्रभाव निश्चित तौर पर किसी न किसी रूप से पड़ेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि साउथ अफ्रीका से आगमन के बाद मालवीय जी की सलाह पर गांधी जी देश का भ्रमण करना चाहते थे. इसी क्रम में सबसे पहले चंपारण आने का मौका मिला और उनके सत्याग्रह की चर्चा देश एवं देश के बाहर फैली. गांधीजी के सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे कार्यों के परिणाम स्वरूप 30 साल के अंदर 1947 में देश आजाद हुआ. वर्ष 1917 के चंपारण सत्याग्रह की अहमियत को समझा जा सकता है, लेकिन चंपारण सत्याग्रह को जितनी अहमियत मिली चाहिए थी, उतनी अहमियत नहीं मिली है. मुख्यमंत्री ने कहा कि गांधी जी ने सिर्फ किसानों को तीनकठिया प्रणाली से मुक्ति दिलायी, बल्कि 46 प्रकार के लगाये जानेवाले करों से भी छुटकारा दिलायी. गांधीजी ने शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर विशेष रूप से काम किया. अपनी पत्नी कस्तूरबा गांधी को भितिहरवा आश्रम की देखरेख की जिम्मेदारी दी. महाराष्ट्र एवं गुजरात से शिक्षकों को यहां के स्कूलों में अध्यापन कार्य में लगाया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थायी बंदोबस्ती का परिणाम विनाशकारी हुआ. जमींदारी उन्मूलन के बाद भी यहां की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है. हमारे यहां कृषि में काफी संभावनाएं हैं. आज अपने राज्य में सबसे अधिक विवाद जमीन को लेकर है. यहां के लोगों में जमीन के प्रति सेंस अॉफ पजेशन की मानसिकता है. हमने जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम में देखा कि सबसे ज्यादा समस्या जमीन से जुड़ी हुई आती थीं. राज्य में लोक शिकायत निवारण कानून लागू किया गया है. यह लोगों को बहुत बड़ा अधिकार मिला है, इसका प्रचार-प्रसार लोगों के बीच में और करने की जरूरत है। लोक शिकायत निवारण कानून के अंतर्गत भी ज्यादातर मामले जमीन विवाद से जुड़े ही आते हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जमीन संबंधी विवाद के स्थायी समाधान के लिए हमलोगों ने सर्वे एवं सेटलमेंट करने का काम शुरू किया है. एरियल सर्वे में भारत सरकार से बहुत चीजों की परमिशन लेनी पड़ी. अब 13 जिलों में काम शुरू हुआ है, जो 2020 तक पूरा हो जायेगा. वर्ष 2022 तक पूरे राज्य में पूरा करने का लक्ष्य है. एरियल सर्वे के साथ मिलान कर रिकॉर्ड को अंतिम रूप से प्रकाशित किया जायेगा, ताकि शिकायतों का निबटारा आसानी हो सके. हमलोग जो भी कानूनी एवं व्यावहारिक काम होगा जरूर करेंगे. 42 शहरी अंचलों में अॉनलाइन दाखिल खारिज का इंतजाम हमलोग कर चुके हैं. एक अप्रैल, 2018 से पूरे राज्य में अॉनलाइन दाखिल खारिज चालू हो जायेगा. अॉनलाइन भू-लगान का भुगतान होने लगेगा.

मुख्यमंत्री ने कहा कि चंपारण शताब्दी वर्ष में सामाजिक सुधार के लिए भी काम हो रहा है. चंपारण सत्याग्रह के सौंवे वर्ष में राज्य में शराबबंदी लागू की गयी और अब नशामुक्ति पर भी काम किया जा रहा है. दो अक्टूबर, 2017 से बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया गया. इसके समर्थन में 21 जनवरी, 2018 को 14 हजार किलोमीटर की मानव श्रृंखला राज्य भर में बनायी गयी. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं विधान परिषद के सभापति से आग्रह करूंगा कि आज के कार्यक्रम को रिकॉर्ड करवा कर जनप्रतिनिधियों तक पहुंचा दिया जाये. मुख्यमंत्री ने कहा कि विचारकों ने अपनी बातें विस्तार से रखीं. पॉजिटिव चीजों पर डिबेट होनी चाहिए. इस तरह के प्रयासों से एक वातावरण बनेगा.

इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारुन रशीद, विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, राज्यसभा सांसद हरिवंश, आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर के कुलाधिपति प्रो रमाशंकर सिंह, प्रख्यात गांधीवादी चिंतक एवं गांधी संग्रहालय के सचिव डॉ रजी अहमद, अन्य मंत्रीगण, विधान पार्षद रामवचन राय, विधान पार्षद केदार नाथ पांडेय, विधान मंडल के अन्य सदस्यगण, पूर्व सदस्यगण, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अतीश चंद्रा, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

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