भवनों में रैंप नहीं. अक्षम लोगों को सरकारी भवनों के ऊपर मंजिल तक जाने में होती है परेशानी
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अव्यवस्था की सीढ़ी चढ़ रहे दिव्यांग व बुजुर्ग
भवनों में रैंप नहीं. अक्षम लोगों को सरकारी भवनों के ऊपर मंजिल तक जाने में होती है परेशानी पटना : अब इसे सरकारी अव्यवस्था कहें या दिव्यांग और बुजुर्गों के असुविधा की अनदेखी. बात चाहे जो भी हो लेकिन इसका खामियाजा दिव्यांगों और बुजुर्गों को भी झेलना पड़ रहा है. जी हां, हम बात कर […]
पटना : अब इसे सरकारी अव्यवस्था कहें या दिव्यांग और बुजुर्गों के असुविधा की अनदेखी. बात चाहे जो भी हो लेकिन इसका खामियाजा दिव्यांगों और बुजुर्गों को भी झेलना पड़ रहा है. जी हां, हम बात कर रहे हैं राजधानी के सरकारी बहुमंजिले भवनों की संरचना पर. जहां किसी भी सरकारी और शहर के विशेष बड़े व्यावसायिक भवनों में ऊपरी मंजिल चढ़ने के लिए रैंप नहीं है. शहर में ऐसे कई बड़े भवन हैं. जिन पर कई व्यावसायिक काम किया जाता है. कहीं बैंक है तो कहीं सरकारी व अन्य कंपनियों के दफ्तर. हर दिन भवनों पर सैकड़ों लोगों का आना जाना लगा रहता है. इसमें दिव्यांग से लेकर बुजुर्ग दर्जनों लोग आते हैं, मगर हर दिन इनको परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन भवनों में रैंप नहीं है और अव्यवस्था की सीढ़ी चढ़ने को मजबूर है.
इन भवनों पर होती है विशेष परेशानी: शुक्रवार को प्रभात खबर टीम ने कई सरकारी भवनों की पड़ताल की. इसमें अधिकांश भवनों पर दिव्यांग व बुजुर्ग लोगों की परेशानी सामने आयी. इसमें सबसे अधिक समस्या मौर्या लोक के भवनों पर है. इस पूरे परिसर में कई भवनों में दर्जन भर से अधिक सरकारी और प्राइवेट कंपनियों के दफ्तर है. इसके अलावा फ्लोर एक पर रेस्त्रां व अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी चल रहे हैं. इसके अलावा इस परिसर में कई बैंकों पर दफ्तर भी हैं. इस भवनों के ऊपरी फ्लोरों पर चढ़ने में परेशानी होती है.
नये भवनों में भी नहीं बनाया गया
सबसे बड़ी बात है कि राजधानी के पुराने बड़े भवनों में रैंप नहीं बनाया गया है. मगर नये बन सरकारी भवन, मसलन ज्ञान भवन, बापू सभागार जैसे भवनों में रैंप का निर्माण नहीं किया गया है. सरकार केवल लिफ्ट लगाकर भवनों को दिव्यांग व बुजुर्गों के लिए बेहतर मान रही है, जबकि कई मामलों में लिफ्ट के बदले रैंप की जरूरत होती है. इसके अलावा विकास भवन, कलेक्ट्रेट, सचिवालय, जय प्रकाश नारायण भवन, पंत भवन, विश्वैश्यरैया भवन सहित कई भवनों में रैंप नहीं बना है.
बिस्कोमान भवन में अधिक परेशानी
गांधी मैदान स्थिति बिस्कोमान भवन में दिव्यांगों व बुजुर्ग लोगों ऊपर चढ़ने में विशेष परेशानी होती है. राजधानी के सबसे ऊंचे 18 मंजिला भवन में एक दर्जन के लगभग सरकारी व गैर सरकारी आॅफिस है. इस पूरी बिल्डिंग में भी कभी रैंप नहीं बनाया गया है, हालांकि इस पूरी बिल्डिंग में चार लिफ्ट लगाये गये हैं, लेकिन लिफ्ट एक और दो फ्लोर पर नहीं खुलते, इसके अलाव ऊपर जाने के बाद भी कई फ्लोर पर लिफ्ट नहीं खुलती. गौरतलब है कि नालंदा ओपन यूनिवसिटी, डीटीओ जैसे कई महत्वपूर्ण ऑफिस हैं.
-सबसे अधिक समस्या होती है मौर्या लोक के भवनों पर रैंप नहीं होने से जरूरतमंदों को
-पुराने तो पुराने, नये सरकारी भवनों में भी नहीं रखा गया दिव्यांगों व बुजुर्गों का ध्यान
मजबूरी में झेलते हैं परेशानी
मैं बीते कई दिनों
से अपने चेक को लेकर आ रहा हूं.
मेरे पैर में चोट है. इससे ऊपर चढ़ने में काफी परेशानी होती है.
– सुबोध, एसबीआई मौर्या लोक
उम्र के अनुसार घूटनों में काफी समस्या आ गयी. सीढ़ी चढ़ना काफी परेशानी वाला होता है. फिर काम के कारण आना पढ़ता है.
– वाल्मिकी प्रसाद, मौर्या लोक
बैंक में काम
करे कारण माह में कम
से दो बार आना
पड़ता है. सीढ़ियों
पर चढ़ने में परेशानी होती है.
– संगीता देवी, देना बैंक मौर्या लोक
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