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बिहार : खास महाल की जमीन का व्यावसायिक उपयोग, राजस्व की हो रही हानि, जमीन माफिया उठा रहे फायदा

पटना : राज्य में खास महाल जमीन का प्रबंधन सही तरीके से नहीं होने से सरकार को राजस्व हानि हो रही है. आवासीय उपयोग के लिए मिलनेवाली जमीन का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उपयोग हो रहा है. इसका फायदा जमीन माफिया उठा रहे हैं. खास महाल की जमीन को लेकर सरकार खुद पसोपेश में है. […]

पटना : राज्य में खास महाल जमीन का प्रबंधन सही तरीके से नहीं होने से सरकार को राजस्व हानि हो रही है. आवासीय उपयोग के लिए मिलनेवाली जमीन का बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उपयोग हो रहा है. इसका फायदा जमीन माफिया उठा रहे हैं. खास महाल की जमीन को लेकर सरकार खुद पसोपेश में है. खासमहाल की जमीन के बारे में सही तथ्य नहीं मिलने से सरकार को राजस्व हानि हो रही है.
पटना, मुंगेर, भागलपुर, कैमूर, रोहतास सहित 20 जिलों में खास महाल की जमीन है. मिली जानकारी के अनुसार लगभग 250 एकड़ जमीन की अभी भी बंदोबस्ती नहीं हुई है. पटना जिले में लगभग पांच सौ एकड़ जमीन की बंदोबस्ती कर लीजधारकों को दी गयी. लीजधारक नियम की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं. आवासीय जमीन का व्यवसायिक उपयोग हो रहा है. जानकारों के अनुसार सरकार ने सम्मानित व्यक्तियों को आवासीय उपयोग के लिए 30 साल के लिए लीज पर जमीन दी. लीजधारकों द्वारालीज का नवीकरण नहीं होने से अब जमीन के बारे में सही जानकारी नहीं मिल रही है कि जमीन अभी किसके कब्जे में है. इसका फायदा जमीन माफिया उठा रहे हैं.
जमीन का वास्तविक ब्योरा नहीं है उपलब्ध
जिलों में खास महाल की जमीन का ब्योरा तैयार नहीं होने से सही आंकड़े नहीं मिल रहे हैं. जबकि, जमीन के प्रबंधन की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है. राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने पाया है कि जिले में खास महाल की भूमि का संधारण व अप टू डेट के काम की उपेक्षा होती है.
लीज पर दी गयी जमीन का नवीकरण कब होना है इसकी जानकारी नहीं होती है. यहां तक कि लीजधारक को नोटिस भी नहीं दी जाती है. सरकार को समय पर राजस्व प्राप्त नहीं होता है. इसे लेकर राजस्व व भूमि सुधार विभाग जिले में डीएम से खास महाल की जमीन के बारे में अद्यतन रिपोर्ट की मांग की है. सही आंकड़े नहीं होने का फायदा जमीन माफिया उठाते हैं. राजस्व कर्मियों के साथ तालमेल कर उसे रैयती जमीन बता कर दाखिल खारिज कर दिया जा रहा है. खासमहाल की जमीन पर लोगों का अवैध कब्जा है.
खास महाल नीति नहीं हुई प्रभावी
राज्य सरकार ने खास महाल जमीन के लिए वर्ष 2011 में खास महाल
नीति बनायी. लेकिन वह प्रभावी ढंग से कारगर
नहीं हो रही है. नीति को लेकर लीजधारकों ने आपत्ति व्यक्त करते हुए न्यायालय की शरण में चले गये हैं.

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