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बिहार : जानें मोहम्मद जायद के अपहरण और बरामदगी की 12 घंटे की पूरी कहानी,जंजीर से बांध कर रखा था….

मारपीट की, खाना भी नहीं दिया पटना : पुलिस ने जब भीखाचक स्थित शशि रंजन के घर पर छापेमारी की तो उस समय मो जायद काफी डरा-सहमा था और उसके पैर व हाथ में लोहे की जंजीर बंधी थी. सादे वेश में पुलिस को देख कर वह और भी डर गया. लेकिन जब उन्होंने बताया […]

मारपीट की, खाना भी नहीं दिया
पटना : पुलिस ने जब भीखाचक स्थित शशि रंजन के घर पर छापेमारी की तो उस समय मो जायद काफी डरा-सहमा था और उसके पैर व हाथ में लोहे की जंजीर बंधी थी. सादे वेश में पुलिस को देख कर वह और भी डर गया. लेकिन जब उन्होंने बताया कि घबराने की बात नहीं है, हमलोग पुलिस है और छुड़ाने आये है.
इसके बाद उसकी हालत में सुधार हुआ और उसे तुरंत ही पुलिस ने जंजीर से मुक्त किया. पुलिस के समक्ष जब उसने पूरी कहानी बयां की तो लगभग लोगों के आंखों में आंसू आ गये. उसने बताया कि वह जब स्कूल जा रहा था तो चार लोग गाड़ी लेकर आये और उस पर छेड़खानी का झूठा आरोप लगा कर उसे अपने साथ जबरन बैठा कर गाड़ी में अपने घर ले आये. इसके बाद एक कमरे में बंद कर दिया और कुछ भी बोलने पर मारपीट करते थे. इसके बाद लोहे की जंजीर से बांध दिया था. उसने पानी मांगी तो भी मारपीट करते थे और कुछ भी खाने को नहीं दिया.
इसके साथ ही हमेशा पिस्तौल को सीने में सटा कर जान मारने की धमकी देते थे. खाना मांगा तो उन लोगों ने कहा कि तुम्हारा बाप पैसे दे देगा तो तुम्हें खाना और पानी दोनों मिलेगा और पैसा नहीं मिला तो फिर तुम्हारी जान जायेगी. हालांकि एसएसपी पूरे ऑपरेशन में पुलिसकर्मियों के साथ थे और छात्र की हिम्मत बढ़ायी और फिर उनके पिता भी बरामदगी की खबर पर एसएसपी कार्यालय पहुंचे.
पिता मो आरिफ अपने बेटे को सामने देख कर खुशी के आंसू को रोक नहीं पाये और बच्चे से लिपट गये.
मो आरिफ ने एसएसपी व पूरे पटना पुलिस को धन्यवाद दिया और कहा कि उनके बेटे की बरामदगी को लेकर पटना पुलिस ने अपनी जान तक लगा दिया. उन्होंने बताया कि जिस वकार ने यह काम किया है, वह उसे अपने बेटे की तरह मानते थे. लेकिन उसने ही दगा दे दिया. दस दिन पहले ही उन्होंने अपना फ्लैट बेचा था और इस बात की जानकारी वकार को थी. जांच के दौरान वकार उसी फ्लैट में था और पुलिस की हर गतिविधि की जानकारी अपने साथियों को देता रहा.
आशियाने में बंद था हुक्का-पानी, सिर्फ चल रही थी दुआएं, ‘शहजादे’ लौटे तो मां ने उतारी नजरें…
पटना . सब खैरियत है, शहजादे मिल गये हैं, अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है, दुआ कबूल हो गयी, मेरा मन कह रहा था, कुछ नहीं होगा, बस इतना कहने के बाद मोहम्मद जायद की अम्मी खलदारिफ के आंखों से आंसू छलक उठे. वह अपने को रोक नहीं पा रही थी, यह दृश्य रात के करीब आठ बजे न्यू पाटलिपुत्रा कॉलोनी के मस्जिद गली में मौजूद मोहम्मद आरिफ के आशियाने थी. फोन से सबको सूचना दी जी रही थी कि सब ठीक है. आशियाने में रौनक लौट गयी हैं, घर की दीवारें, चौखट, दरवाजे और सबके चेहरों के रंग चटख हो गये. मोहम्मद जायद सही सलामत मिलने की सूचना मिल गयी थी. पुलिस की इस सफलता पर जायद के अब्बू ने सबको बधाई दी. इधर, सुबह से रुआंसे हुए चेहरे पर नूर आ गया. घर में खुशियां छलकने लगी. फोन से सबको जानकारी दी जाने लगी. सब ठीक है, शहजादे मिल गये हैं, सब खैरियत है.
छा गयी रौनक
सुबह से जहां स्यापा था. जुबां बंद थीं, लोग कान में बुदबुदा रहे थे वहां रात के 8 बजे रौनक छा गयी. अचानक से एसएसपी मनु महाराज का फोन आया और उन्होंने मोहम्द आरिफ को जैसे ही इत्तला किया कि उनका बेटा सही सलामत बरामद हो गया है, वह खुशी के मारे रो उठे, आंखों से आंसू छलक गये. पुलिस गर्दनीबाग से सीधे मोहम्मद जायद और उसके साथ पकड़े गये चारों अपराधियों को लेकर रंगदारी सेल पहुंच गयी. वहां पर परिवार वालों को बुलाया गया. पिता और भाई पहुंचे थे. सबने पुलिस को बधाईयां दी. पुलिस ने पत्रकार वार्ता के बाद जैदी को परिवार वालों को सौंप दिया.
– रात में 10:30 बजे घर पहुंचा जायद : मोहम्द सही सलामत पुलिस के पास पहुंचने के बाद रात के करीब 10:30 बजे अपने घर पहुंचा. घर पर भारी भीड़ जमा थी, कॉलोनी के सभी लोग उसका इंतजार कर रहे थे. लोगों को मीडिया के माध्यम से पता चला गया था कि वह बरामद हाे गया है. उसके बाद कॉलोनी की सभी महिलाएं बारी-बारी से उसके घर पहुंच रही थी.
गम में डूबा था परिवार
काॅलोनी में थी अजीब सी खामोशी
मंगलवार की सुबह से अास-पड़ाेस, रिश्तेदार सब हक्के-बक्के थे. कॉलोनी के लोग भागे-भागे मोहम्मद आरिफ के घर पहुंच रहे थे. जायद कहां हैं, कैसा है, उसकी खैरियत को लेकर सब परेशान हो गये. कॉलोनी में अजीब सी खामौशी छा गयी थी. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, लोगाें की घबराहटे तेज होती गयीं. अम्मी खलदारिफ, अब्बू मोहम्मद आरिफ, चारो भाई और बहन सब इधर-उधर फोन लगाने लगे. लेकिन जब फिरौती के लिए फोन आ गया तो दिल की धड़कनें और तेज हो गयीं. एक-एक पल भारी होने लगा. पटना पुलिस के अाला अधिकारी छानबीन में जुट गये.
उधर पुलिस ने अपने सारे घौड़े दौड़ा दिये. पुलिस उस मोबाइल नंबर को लेेकर छानबीन कर रही थी जिससे फिरौती मांगी गयी थी. इसके बाद पता चला कि जिस नंबर का इस्तेमाल हुआ वह नंबर एनपी सेंटर डाक बंगला से खरीदी गयी है. पुलिस ने पहले दुकानदार को पकड़ा फिर उस व्यक्ति तक पहुंच गयी जिसके फिंगर प्रिंट से मोबाइल सिम जारी हुआ था. इसी सिम ने पुलिस को लीड दिला दिया. पुलिस अपराधियों तक पहुंच गयी. गर्दनीबाग में एक सरकारी क्वार्टर से उसे मुक्त कराया गया.
आपराधिक लिहाज से बिहार की सुधरती छवि पर पिछले 20 दिनों से जबरदस्तआंच आई हुई है. अपहरण की ताबड़तोड़ घटनाओं से खासतौर पर पटना अंचल दहला हुुआ है. राहत की बात ये है कि अपहरण की अंतिम दो वारदातों में पकड़ सुरक्षित छुड़ा ली गयीं.
केवल एक मामले में बच्चे/किशोर की दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से मौत हुई है. अपहरण की तीनों वारदातों में किशोरों या बच्चों को शिकार बनाया गया था. इसके अलावा अपहरण की इन तीनों वारदातों में कुछ और समानताएं हैं . अव्वल तो अपहरण के शिकार सभी बच्चे स्कूली थे. दूसरे, ये सभी वारदातें पीड़ितों के ‘अपनों’ ने ही अंजाम दी हैं.
‘अपनों’ में वे लोग शामिल हैं जो पीड़ित परिवारों के किसी ने किसी रूप में करीबी ही रहे हैं. अपराध विश्लेषकों का मत है कि पुलिस के लिए ये राहत की बात है कि अपहरण की वारदातों में कोई अपराधिक गिरोह शामिल नहीं रहे हैं.
उदाहरण के लिए मंगलवार को हुए मोहम्मद जायद मल्लिक अपहरण कांड का असली सूत्रधार जायद के ही मकान में बतौर किराएदार रह रहा व्यक्ति है. जिसने निजी स्वार्थ में जायद का अपहरण कराया.
पुलिस ने अपहरण की इस वारदात का पर्दाफाश कर दिया. इससे पहले जनवरी माह में अगमकुआं से 17 जनवरी को स्कूल जा रहे नौवीं कक्षा के छात्र रौनक कुमार का अपहरण और उसके बाद हत्या के मामले में उसके पारिवारिक करीबी लोगों का ही हाथ रहा था. इसका सूत्रधार पड़ोसी ही था.

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