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बिहार : सर्वे में खुलासा, कुपोषण और अंधत्व का दंश झेल रहा बचपन
सैंपल सर्वे में खुलासा . कागजों में कुपोषण कम होने के दावे, पांच जिलों में हकीकत उलट पटना : कुपोषण व शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर भले ही सरकारी स्तर पर लाख दावे क्यों न कर ली जाये, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. प्रदेश के पांच विशेष जिलों के तीन लाख […]
सैंपल सर्वे में खुलासा . कागजों में कुपोषण कम होने के दावे, पांच जिलों में हकीकत उलट
पटना : कुपोषण व शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर भले ही सरकारी स्तर पर लाख दावे क्यों न कर ली जाये, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. प्रदेश के पांच विशेष जिलों के तीन लाख बच्चों की स्क्रीनिंग में 137 से अधिक बच्चे कुपोषित पाए गए हैं. इसके अलावा 110 में खून की कमी और एक हजार से ज्यादा बच्चों में बीमारियां हैं.दरअसल राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम एजेंसी और क्लीनिकल एंथ्रोपोमेट्रिक एंड बायोकेमिकल (सीएबी) की तरफ से किये सर्वे में इन तथ्यों का खुलासा हुआ है. सर्वे वर्ष 2017 का है. सर्वे में बक्सर, पश्चिम चंपारण, मधेपुरा, पटना और मुंगेर जिलों में किया गया था.
सर्वे और क्लीनिकल एंथ्रोपोमेट्रिक एंड बायोकेमिकल (सीएबी) की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में पांच से 18 साल तक के बच्चों के बीच सर्वाधिक कुपोषण (33 फीसदी) और गंभीर कुपोषण (21.7 फीसदी) रिकॉर्ड किया गया है. इस रिपोर्ट के आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा है. जानकारों की मानें तो आज भी गांवों में रहने वाले गरीब कुपोषण का शिकार हो रहे हैं.
तीन लाख बच्चों का सर्वे
राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के तहत स्लम ऐरिया, ग्रामीण इलाकों के अलावा सरकारी स्कूल आदि जगहों पर रहने वाले करीब तीन लाख से अधिक बच्चों का सर्वे किया गया. इसमें पटना जिले में सबसे अधिक पीड़ित बच्चे पाये गये हैं. इसके बाद मुंगेर, मधेपुरा, पश्चिम चंपारण और बक्सर है. स्वास्थ्य विभाग ने एक गैर सामाजिक संगठन के साथ मिल कर 8 से 14 साल के बच्चों का नेत्र परीक्षण के साथ ही शारीरिक जांच किया. इसमें सबसे अधिक निमोनिया, खून की कमी व कुपोषण के लक्षण पाये गये. वहीं 18 साल के बच्चों में 19% ऐसे हैं जिनमें दृष्टि दोष है.
पटना व मुंगेर में हालात खराब
पटना और मुंगेर जिले में दृष्टि दोष, आंखों में कम रोशनी, निमोनिया, डायरिया व कुपोषण के लक्षण अधिक पाये गये हैं. यहां पर किये गये बच्चों की स्क्रीनिंग में 46 से अधिक बच्चे कुपोषित पाये गये. बाकी बक्सर, पश्चिम चंपारण, मधेपुरा आदि जिलों के ग्रामीण इलाकों के बच्चे कुपोषित पाये गये. इसके अलावा इन दोनों जिलों में सवा लाख से अधिक बच्चे बीमार पाये गये, जबकि 110 बच्चों में खून की कमी दिखायी गयी. इसके अलावा पटना में 8019, मुंगेर में 442, मधेपुरा के 438, पश्चिम चंपारण के 415, बक्सर के 45 बच्चों में दृष्टिदोष पाया गया.
क्या कहते हैं अधिकारी
पीएमसीएच सहित कुछ मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में कुपोषण पुर्नावास केंद्र खोला गया है. यहां कुपोषित बच्चों को तुरंत भर्ती कराया जाता है. साथ ही इलाज सहित देखभाल किया जाता है. यही वजह है कि बिहार में शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आयी है. आने वाले कुछ दिनों में यह आकड़ा और कम हो जायेगा. इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है.
– डॉ पीके झा, सिविल सर्जन
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