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बिहार : ‘दंगल गर्ल‘ बनने को लड़कियां सीख रहीं कुश्ती के दांव

महिला सशक्तीकरण : अखाड़े में जोर-अाजमाइश में जुटी हैं पटना जिले के ग्रामीण इलाकों की बेटियां बंटी कुमार मोकामा : ‘दंगल’ फिल्म में जूनियर कलाकारों ने पहलवानी के अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया. अब पटना के ग्रामीण इलाकों में ‘दंगल गर्ल’ बनने के लिए लड़कियां कुश्ती के दांव सीख रही हैं. मोकामा, अथमलगोला, […]

महिला सशक्तीकरण : अखाड़े में जोर-अाजमाइश में जुटी हैं पटना जिले के ग्रामीण इलाकों की बेटियां
बंटी कुमार
मोकामा : ‘दंगल’ फिल्म में जूनियर कलाकारों ने पहलवानी के अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया. अब पटना के ग्रामीण इलाकों में ‘दंगल गर्ल’ बनने के लिए लड़कियां कुश्ती के दांव सीख रही हैं.
मोकामा, अथमलगोला, बाढ़ और पंडारक प्रखंड की दर्जनों बेटियां अखाड़े में जोर अजमाइश में जुटी हैं, ताकि वे शीर्ष तक पहुंंच कर देश का मान बढ़ा सकें. महिला कुश्ती खिलाड़ियों के प्रशिक्षक धीरज सिंह चौहान ने बताया कि मोकामा प्रखंड की तीन महिला पहलवान राज्य स्तरीय जूनियर मुकाबलों में अपना दमखम दिखा चुकी हैं.
वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित दंगल में शामिल होने के लिए दो-दो हाथ कर रही हैं. इनमें औंटा गांव की रहने वाली दो सगी बहनें 17 वर्षीया निशा कुमारी व 14 वर्षीया अंजली कुमारी और मोरारपुर गांव की 19 वर्षीया नूतन कुमारी शामिल हैं.
वहीं, अथमलगोला प्रखंड की 16 वर्षीया प्रियंका कुमारी और 16 वर्षीया धनवंती कुमारी नेशनल प्लेयर हैं. वहीं, पायल, नीलम आदि जूनियर पहलवान भी कुश्ती प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं. इधर, बाढ़ प्रखंड की ज्योति कुमारी, पायल कुमारी और काजल कुमारी भी जूनियर महिला पहलवानों की टीम में शामिल हैं. पंडारक प्रखंड की तीन बेटियां रेशमी, वंदना और उजाला भी पहलवानी की बारीकियां सीख रही हैं. दूसरी ओर खेल में रुचि रखने वाली अन्य कई स्कूली छात्राएं भी कुश्ती मुकाबले में भाग लेने को बेताब हैं. इसके लिए वह अभ्यास में दिन-रात एक कर रही हैं. वैसे तो ग्रामीण इलाकों में कुश्ती का प्रचलन पुराना है, लेकिन कुश्ती प्रतियोगिता में महिला खिलाड़ियों की रुचि कौतूहल का विषय बनी है. महिला सशक्तीकरण की इस नायाब नमूने से लोगों की मानसिकता भी बदल रही है. लोग रूढ़ीवादिता से ऊपर उठ कर बेटियों को दंगल के क्षेत्र में भी प्रोत्साहित कर रहे हैं.
दूसरे जिलों से भी पहुंची रहीं लड़कियां
पटना जिला कुश्ती संघ के सचिव धीरज सिंह चौहान जो कोच भी हैं, ने बताया कि अथमलगोला अखाड़े में दूसरे जिले से भी जूनियर कुश्ती खिलाड़ी प्रशिक्षण के लिए पहुंच रही हैं. इस अखाड़े की दो दर्जन लड़कियां स्टेट और नेशनल लेवल पर कुश्ती लड़ रही हैं. महिला कुश्ती को व्यापक बनाने की सरकार की योजना है. सामाजिक कार्यकर्ता राम मोहित पासवान ने कहा कि महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार का प्रयास रंग ला रहा है. महिलाओं के हर क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी समाज के लिए अच्छा संकेत है.
अथमलगोला में बनाया महिला अखाड़ा
महिला वर्ग की जूनियर खिलाड़ियों के बीच दंगल का क्रेज काफी बढ़ा है. ग्रामीण स्तर पर लड़कियां पहलवानी की कला सीखने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन प्रशिक्षण के लिए व्यवस्था का अभाव प्रतिभा के आड़े आ रही है. महिला प्लेग्राउंड के अभाव में खिलाड़ी असुरक्षित महसूस करती हैं.
केवल अथमलगोला में सद्भावना खेलकूद अकादमी के नाम से महिला अखाड़ा बनाया गया है. यहां प्रशिक्षण और तैयारी की व्यवस्था तो है, लेकिन यहां तक पहुंचने में लड़कियों को मशक्कत करनी पड़ती है. इधर, मोकामा के औंटा में ओपन फील्ड में फिजिकल की थोड़ी व्यवस्था की गयी है. औंटा निवासी जूनियर खिलाड़ी अंजली और निशा के पिता निर्दोष दास कहते हैं कि वह मुफलिसी में भी बेटियों को प्रोत्साहित करने का हर संभव प्रयास करेंगे. सरकार की ओर से भी प्रखंड स्तर पर खेलकूद की व्यवस्था हो. इससे गरीब तबके के प्रतिभावान बच्चे नाम रोशन कर सकेंगे.

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